चुनाव से पहले इमेज सुधारने में जुटी यूपी सरकार, करप्शन मामले में दो मंत्रियों को किया बर्खास्त

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लखनऊ। लंबे समय से खनन विवाद के कारण चर्चा में रहे खनन मंत्री व अमेठी से विधायक गायत्री प्रजापति को सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। गायत्री प्रसाद प्रजापति को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्यपाल राम नाईक को पत्र भेज दिया है। इसके अलावा पंचायती राज मंत्री राजकिशोर सिंह को भी बर्खास्त कर दिया गया है।
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खनन घोटाले मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद आज मुख्यमंत्री ने यह कदम उठाया है। अखिलेश के इस कदम को डेमैज कंट्रोल बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अखिलेश को ऐसे कड़े कदम एक ऐसे समय पर उठाना पड़ा है, जब राज्य में चुनाव के दिन करीब हैं और सभी विपक्षी दल सत्ताधारी पार्टी को उखाड़ फेंकने का आह्वान कर रहे हैं। कांग्रेस से लेकर भाजपा और बसपा ने मौजूदा अखिलेश सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। अमेठी से पहली बार विधायक बनने वाले प्रजापति पहली बार में ही मंत्री बन गए थे।
प्रदेश में कम समय में ही लंबी छलांग लगाने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति कैबिनेट मंत्री के रूप में भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्रालय संभाल रहे थे। गायत्री प्रजापति प्रदेश में खनन मंत्री हैं और उनपर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगते आए हैं। ऐसे में अपनी सरकार की छवि को बेहतर बनाने के लिए अखिलेश यादव ने यह अहम फैसला लिया है। गायत्री प्रजापति को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का करीबी भी माना जाता है।
चुनावी नाव पर 2002 में पहली बार सवार होने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने चुनावी हलफनामे में कुल संपत्ति 91,436 रुपए बताई थी। दस वर्ष बाद अमेठी से विधायक बनने वाले गायत्री प्रजापति ने 2012 के विधानसभा चुनाव के लिए भरे पर्चे के साथ लगे हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 3 लाख 71 हजार 720 रुपए बताई थी। अब उनकी संपत्ति अब बढ़कर दो लाख बाहर हजार करोड़ रुपए हो गई है। आज उनके पास कई बंगले, गाड़ी, फॉर्म हाउस सहित सैकड़ों करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति है। लखनऊ के मुख्यमंत्री आवास के बगल में सरोजनी नायडू मार्ग पर आलीशान कोठी है। इसे कई लोग राजनीति का मुद्दा बनाने को तैयार थे।
यूपी में अवैध खनन की सीबीआई जांच रुकवाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की बड़ी बेंच में पहुंची अखिलेश सरकार को तगड़ा झटका लगा था। हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए राज्य सरकार से सवाल पूछा था कि अगर खनन में कोई गड़बड़ी नहीं है तो सरकार जांच से क्यों बचना चाहती है।
हाईकोर्ट के इस फैसले को अखिलेश सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। सरकार ने चुनाव से पहले खनन घोटाले के आरोप ने विपक्ष के हाथ एक और मुद्दा दे दिया।
गायत्री प्रजापति अपनी कार्यशैली को लेकर पहले भी विवादों में रहे हैं। गायत्री प्रजापति सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने प्रजापति के खिलाफ खनन के जरिये अवैध वसूली का आरोप लगाते हुए लोकायुक्त से भी शिकायत की थी।