देश भर में दुपहिया वाहन चालकों को मिली हुई है, असीमित छूट

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देश भर में दुपहिया वाहन चालकों को मिली हुई है, असीमित छूट

    – किशन शर्मा

यह एक निर्विवादित सत्य है कि हिंदुस्तान में सडक दुर्घटनाओं का सबसे बडा कारण लापरवाही से चलाए जाने वाले और यातायात नियमों का पालन न करने वाले दुपहिया वाहन चालक ही हैं । पिछले लगभग दस वर्ष में देश भर में वाहनों की संख्या असीमित गति से बढी है, और दुपहिया वाहनों की संख्या में कितनी बढोत्तरी हुई है, इसका वास्तव में किसी को भी पता नहीं है । हर दिन समाचारों में सडक दुर्घटनाओं का उल्लेख होता है, परंतु उससे दुपहिया वाहन चालकों पर कोई असर दिखाई नहीं देता । सिग्नल की अनदेखी करके आगे बढ जाना, गलत दिशा में वाहन चलाना, बहुत तेज़ रफ़्तार से वाहन चलाना, एक दुपहिया वाहन पर कम से कम तीन व्यक्तिओं को बैठाना, कहीं भी और कैसे भी वाहन खडा कर देना, बिना इशारा दिये कहीं भी वाहन को मोड देना, फ़ुटपाथ पर वाहन चलाना आदि आजकल हर गांव, हर कस्बे, हर नगर और हर महानगर में बडी आम बात हो गई है । एक हाथ में मोबाइल पकड कर बात करते हुए वाहन चलाना या कान और कंधे के बीच में मोबाइल रखकर टेढी गर्दन करके वाहन चलाना भी आम बात हो गई है । पुलिस विभाग इन सब के विरुद्ध आमतौर पर कोई कार्रवाई नहीं करता । नागपुर सहित अनेक नगरों में तो दुपहिया वाहन चालकों के पक्ष में सरकारी आदेश जारी कर दिये गये हैं कि “वैस्ट हाईकोर्ट रोड” जैसी महत्वपूर्ण सडक पर दोनों तरफ़ केवल दुपहिया वाहन ही पार्क किये जा सकते हैं । कार आदि की पार्किंग कहीं दूर छोटी गलियों में करने के आदेश दे दिये गये । इसमें भी यह देखकर दुख होता है कि गलियों में अनगिनत दुपहिया वाहन ही पार्क किये हुए दिखाई देते हैं । कार चालक अगर कहीं अपनी कार गली में पार्क कर भी दे तो लौटने पर उसे बहुत देर तक उन महानुभावों की प्रतीक्षा करनी पडती है जो उस बीच उसकी कार के चारों तरफ़ कैसे भी आडी-टेढी स्कूटर या मोटरसाइकिल पार्क करके चले गये । कार वाला अपनी कार को वहां से हिला भी नहीं पाता । हैलमेट या तो दुपहिया वाहन के हैंडल में लगा रहता है, या पीछे की तरफ़ कैरियर में लटका होता है । कोई कोई चालक अपने पीछे बैठे साथी के हाथ में हैलमेट इसलिये दे देता है कि कहीं पुलिसकर्मी दिखाई दे तो वो तुरंत चालक के सिर पर हैलमेट पहना दे और फ़िर तुरंत हटा भी दे । तेरह-चौदह साल के लडके-लडकियां शान से दुपहिया वाहन चलाते हुए घूमते रहते हैं । एक दिन मैंने एक चौराहे पर खडे पुलिसकर्मी से पूछा कि उसके सामने ही उल्टी दिशा में और लाल बत्ती के होते हुए भी तेज़ रफ़्तार में दुपहिया चालक दौडे चले जा रहे हैं तो उनके विरुद्ध वह कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है । उस पुलिसकर्मी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “साहब, हमको मरना नहीं है । ये लडके-लडकियां हमारे ऊपर अपनी गाडी चढा देते हैं । और फ़िर किसी  को पकड भी लें तो तुरंत किसी नेता या अधिकारी का फ़ोन आ जाता है कि इसे छोड दो । हमारे कई साथी इस चक्कर में अपनी हड्डियां तुडवाकर अस्पताल में जाते रहे हैं । हमारा विभाग या अफ़सर उनके हाल पूछने भी नहीं जाते । तो आप ही बताइये, हम लोग कैसे कुछ भी कार्रवाई करें” । एक बार मैंने अपना एक आकलन पुलिस आयुक्त को लिखकर भेजा कि लगभग 80 प्रतिशत कार चालक यातायात नियमों का पालन करते हैं । लगभग 40 प्रतिशत औटोरिक्षा चालक भी नियमों का पालन करते हैं । लगभग 90 प्रतिशत दुपहिया वाहन चालक यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं और लगभग 95 प्रतिशत महिला दुपहिया वाहन चालक पूरी तरह से लापरवाह और निर्भीक होकर वाहन चलाती हैं । कुछ दिन बाद यातायात पुलिस विभाग के एक अधिकारी ने मुझे उत्तर भेजा, “आपका आकलन किसी हद तक सही है । अनेक युवा नियमों का पालन नहीं करते । यहां यह स्पष्ट कर दूं कि हम अपनी क्षमता से भी अधिक कार्य कर रहे हैं और नियम तोडने वालों के विरुद्ध कडी कार्रवाई भी कर रहे हैं, परंतु कर्मचारियों की कमी के कारण और अति विशिष्ट व्यक्तियों के “मूवमेंट” की देखरेख करने में हम हर जगह और हर समय पुलिस कर्मियों को खडा नहीं कर पाते हैं । जो पालक अपने बच्चों को कम उम्र में वाहन खरीद कर दे देते हैं और उन्हें चलाने की भी अनुमति दे देते हैं, क्या उनका इस सम्बन्ध में कोई दायित्व नहीं बनता ? हम हर गली-चौराहे पर और हर वाहन चालक के पीछे पुलिस कर्मी नहीं लगा सकते है।“ मैं गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ आदि अनेक राज्यों में घूम चुका हूं और “हाई वे” पर भी उल्टी दिशा में अनगिनत वाहनों को तेज़ी से आते हुए देखकर कभी कभी यह सोचने लगता हूं कि कहीं मैं ही तो उल्टी दिशा में नहीं जा रहा । सडक दुर्घटनाओं की बढती संख्या चिंताजनक होती जा रही है, परन्तु इससे अधिकांश वाहन चालकों पर कोई भी असर दिखाई नहीं देता । हाल ही में मैंने एक पत्र सडक परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी जी को लिख कर निवेदन किया था कि वे वाहनों की, विशेषकर दुपहिया वाहनों की असीमित बढती जा रही बिक्री पर रोक लगाने की दिशा में कोई सुधार करने का प्रयास करें, और मुझे यह जानकर थोडा संतोष हुआ कि उन्होंने अभी यह वक्तव्य दिया है कि उनका मंत्रालय वाहनों की बिक्री को सीमित करने के बारे में विचार कर रहा है । सडक दुर्घटनाओं की बढती संख्या और दिन-ब-दिन बढती लापरवाही तथा यातायात नियमों की अनदेखी को देखकर और अधिकारियों-कर्मचारियों की निष्क्रियता को देखकर मुझे ऐसा प्रतीत होने लगा है कि दुपहिया वाहन चालकों को उनकी तरफ़ से हर तरह की असीमित छूट प्रदान की जा रही है ।

901, केदार, यशोधाम एन्क्लेव, प्रशांत नगर, नागपुर – 440015 – मोबाइल – 8805001042 ।