महाराष्ट्र: दो गुटों में बंटी शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव निशान मशाल मिल चुका है। शिंदे गुट को भी ढाल और तलवार चुनाव निशान मिला है, लेकिन अब वो विवादों में घिर गया है। एकनाथ शिंदे कैंप को आवंटित हुए चुनाव चिह्न पर विवाद जारी है। इस बार सिख समुदाय के नेताओं ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाली पार्टी के चुनाव चिह्न पर आपत्ति जताई है।
शिंदे की पार्टी का चुनाव चिह्व दो तलवार और ढाल है। इस पर समुदाय के लोगों का कहना है कि यह खालसा पंथ का धार्मिक प्रतीक है। दूसरी ओर इससे पहले समता पार्टी उद्धव ठाकरे की पार्टी के चुनाव चिह्न मशाल पर सवाल उठा चुकी है।
गुरुद्वारा सचखंड बोर्ड नांदेड़ के पूर्व सचिव रंजीतसिंह कामथेकर और एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग (EC) को पत्र लिखकर एकनाथ शिंदे की पार्टी के लिए चुनाव चिह्न की अनुमति नहीं देने के लिए कहा है। उनका तर्क है कि इस चिह्व का धार्मिक अर्थ है। अगर चुनाव आयोग द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया, तो वे ऐक्शन की मांग के लिए अदालत जा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ष्हमारे धार्मिक गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ के धार्मिक प्रतीक के रूप में तलवार और ढाल को स्थापित किया था।ष् कामथेकर ने कहा कि इन दोनों गुटों के चुनाव चिह्न के रूप में इससे पहले त्रिशूल और गदा को चुनाव आयोग ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इन चिह्नों का धार्मिक अर्थ है।
कामथेकर ने आगे कहा, मैं चुनाव आयोग के ध्यान में लाना चाहता हूं कि शिंदे गुट को आवंटित चुनाव चिह्न का भी धार्मिक प्रभाव है। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग इस पर ध्यान देगा।
उन्होंने कहा कि वह सोमवार को समुदाय के अन्य सदस्यों से मिलने के बाद चुनाव आयोग को एक औपचारिक पत्र भेजेंगे। उन्होंने चुनाव आयोग, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य राजनेताओं को संदेश ट्वीट किया है।