वृंदावन में एक व्यक्ति द्वारा खुद ही अपना ऑपरेशन करने का मामला सामने आने के बाद इस पर तीखी बहस छिड़ गई है। इस घटना के बाद रूस के मशहूर डॉक्टर लियोनिद इवानोविच रोगोजोव की चर्चा होने लगी, जिन्होंने 1961 में सोवियत अंटार्कटिक अभियान के दौरान खुद ही अपनी अपेंडिक्स सर्जरी की थी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि रोगोजोव एक प्रशिक्षित चिकित्सक थे, जबकि आम व्यक्ति के लिए ऐसा करना आत्मघाती साबित हो सकता है।
यह बहादुरी नहीं, मूर्खता है
गैस्ट्रो सर्जन डॉ. नितिन गोयल का कहना है कि हर कोई लियोनिद रोगोजोव नहीं हो सकता। इस तरह के कृत्य से जान जाने का खतरा रहता है। वृंदावन में राजाबाबू नामक युवक द्वारा खुद अपना ऑपरेशन करने का प्रयास किसी भी तरह से सराहनीय नहीं बल्कि मूर्खतापूर्ण है। डॉक्टर ने स्पष्ट किया कि अगर युवक ने आर्थिक तंगी के कारण ऐसा किया, तो यह भी पूरी तरह गलत था, क्योंकि आयुष्मान योजना जैसी सरकारी स्वास्थ्य योजनाएं उपलब्ध हैं।
मुफ्त इलाज के विकल्प होते हुए भी ऐसा कदम क्यों?
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि कई ऐसे चिकित्सक हैं जो मानवता के नाते निशुल्क ऑपरेशन के लिए तत्पर रहते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यूट्यूब या अन्य स्रोतों से देखकर ऑपरेशन करने की कोशिश जानलेवा हो सकती है। आज जहां लोग छोटी-छोटी बीमारियों में भी डॉक्टर की सलाह लेते हैं, वहीं खुद ऑपरेशन करना पूरी तरह से अनुचित और खतरनाक है।
क्या है पूरा मामला?
वृंदावन के सुनरख निवासी 32 वर्षीय राजा बाबू, पुत्र कन्हैया ठाकुर, लंबे समय से पेट दर्द से परेशान थे। उन्होंने कई डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन आराम नहीं मिला। 18 साल पहले उनका अपेंडिक्स का ऑपरेशन हो चुका था, जिसके बाद से बार-बार पेट दर्द की समस्या बनी हुई थी। जब किसी भी इलाज से राहत नहीं मिली, तो उन्होंने खुद ही अपना ऑपरेशन करने की ठान ली।
कैसे किया खुद का ऑपरेशन?
राजाबाबू ने डॉक्टरों की तरह खुद को इंजेक्शन लगाकर सुन्न किया, फिर सर्जिकल ब्लेड से पेट चीरा। शुरुआत में दर्द महसूस नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही दवा का असर खत्म हुआ, वह तड़पने लगे। इसके बावजूद उन्होंने अपने पेट में 11 टांके भी लगाए। जब दर्द असहनीय हो गया और वह चीखने लगे, तो परिवार के लोगों ने दौड़कर उन्हें तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने गंभीर हालत में भर्ती कर लिया। फिलहाल उनका इलाज जारी है।