भारत के 24 उच्च न्यायालयों में 1091 जज होने चाहिए. लेकिन 470 पद खाली पड़े हैं. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की समिति और सरकार के बीच इसे लेकर खींचतान जारी है कि जजों की नियुक्ति पर आखिरी फैसला किसका हो. इसका नुकसान न्यायिक व्यवस्था को हो रहा है. दो दशक पुरानी कॉलेजियम व्यवस्था, जिसमें कुछ जज एक बंद कमरे में बैठकर जजों की नियुक्ति का फैसला करते हैं, भारत में ही हुई एक खोज है जिसे न्यायिक स्वतंत्रता के नाम पर अंजाम दिया गया. हकीकत में देखें तो इसने एक अपारदर्शी न्यायिक व्यवस्था को जन्म दिया है. समय आ गया है कि इसे बदला जाए.
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए. सबसे जूनियर जजों का चुनाव राष्ट्रीय न्यायिक सेवा के जरिये किया जा सकता है. चाहे वह जिला स्तर पर हो, उच्च न्यायालय या फिर सर्वोच्च न्यायालय के स्तर पर पर, सभी खाली पदों की सूचना सार्वजनिक होनी चाहिए और उनके लिए पात्रता की शर्तें भी ताकि न्यायिक सेवाओं और बार के सदस्य उनके लिए आवेदन कर सकें. सभी आवेदनों की समीक्षा एक समिति करे. इस समिति में उच्च न्यायालयों या सर्वोच्च न्यायालय के जजों के साथ सर्वोच्च विधि अधिकारी भी शामिल हो. जिला, सत्र या उच्च न्यायालय के मामले में वह राज्य का एडवोकेट जनरल हो सकता है और सर्वोच्च न्यायालय के मामले में अटॉर्नी जनरल. समिति द्वारा की जाने वाली सभी चर्चाएं और सिफारिशें रिकॉर्ड की जानी चाहिए. समिति जो सूची बनाए सरकार उसमें से ही उम्मीदवार नामांकित करे. इसके बाद अलग-अलग पार्टियों के विधायकों या सांसदों से बनी विधायी समिति को उम्मीदवारों के बारे में उपलब्ध जानकारियों का संज्ञान लेते हुए उन्हें मंजूरी देनी चाहिए. नियुक्तियों पर आखिरी फैसला उचित विधानमंडल का ही होना चाहिए. अगर समिति किसी उम्मीदवार को खारिज कर देती है तो सूची में शामिल अगले उम्मीदवार पर विचार किया जा सकता है. यह व्यवस्था न्यायिक स्वतंत्रता का क्षरण करने के बजाय उसे मजबूत बनाएगी.
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में छायी अपारदर्शिता अप्रत्यक्ष रूप से हेर-फेर का कारण बनी है. इसके चलते यह भी हुआ कि अक्सर सबसे अच्छे कानूनविद न्यायिक व्यवस्था से बाहर रह गए. नियुक्तियों की पारदर्शी, निष्पक्ष और खुली व्यवस्था ही यह सुनिश्चित करने का सबसे अहम उपाय है कि लोगों का कानून व्यवस्था में विश्वास बना रहे. यह कारोबार चलाने, विकास सुनिश्चित करने और लोकतंत्र को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए भी जरूरी है.