म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा के चलते पलायन कर बांग्ला देश और भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले रोहिंग्या को वापस भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की सुरक्षा, आर्थिक हितों की रक्षा जरूरी है, लेकिन इसे मानवता के आधार से भी देखना चाहिए, हमारे संविधान का मूल आधार मानवता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह अगली सुनवाई तक कोई एक्शन ना ले और ना ही रोहिंग्या को वापस भेजे। अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि दलीलें भावनात्मक पहलुओं पर नहीं बल्कि कानूनी बिन्दुओं पर आधारित होनी चाहिए। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मानवीय पहलू और मानवता के प्रति चिंता के साथ-साथ परस्पर सम्मान होना भी जरूरी है।
गौरतलब है कि देश में रह रहे 40 हज़ार रोहिंग्यों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए केंद्र सरकार ने पिछले 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया था। 16 पन्ने के इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा था कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क हैं। ऐसे में ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं और इन अवैध शरणार्थियों को भारत से जाना ही होगा।
केंद्र सरकार के इस हलफनामे के खिलाफ रोहिंग्या मुस्लिमों के पक्ष में एक याचिका दायर की गई। रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार के कदम को समानता के अधिकार के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा है कि हम गरीब हैं और मुसलमान हैं, इसलिए उनके साथ ऐसा किया जा रहा है। रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय ने कोर्ट में अर्जी देकर कहा है कि उनका आतंकवाद और किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है।
इसी बीच देश की 51 बुद्धिजीवियों और मशहूर हस्तियों की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखकर अपील की गई है कि रोहिंग्याओं को भारत में रहने दिया जाए। इस खत में केंद्र सरकार से म्यांमार में जारी हिंसा के बीच रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस उनके देश नहीं भेजने की अपील की गई है।
इस खत पर मशहूर वकील प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, सांसद शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, ऐक्टिविस्ट तीस्ता शीतलवाड़ , पत्रकार करन थापर, सागरिका घोष, अभिनेत्री स्वरा भास्कर समेत कुल 51 मशहूर हस्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं।