सिंधु जल संधि की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

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नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है। इसमें समझौते की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। यह याचिका एमएल शर्मा ने दायर की है। वहीं आज 12 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल संधि समझौते को रद्द करने के नफा-नुकसान पर चर्चा करने के लिए एक अहम बैठक बुलाई है। यह बैठक प्रधानमंत्री आवास पर होगी।
बता दें कि 1960 में पानी के बंटवारे को लेकर भारत-पाकिस्तान में एक संधि हुई था। इस संधि को सिंधु जल संधि के नाम से जाना जाता है। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और अयूब खान ने दस्तखत किए थे। इस संधि के तहत सतलुज, ब्यास, रावी, सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी का बंटवारा किया गया था। सतलुज, ब्यास और रावी का ज्यादातर पानी भारत के हिस्से आता है जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब का ज्यादातर पानी पाकिस्तान के हिस्से आता है। सिंधु, झेलम और चेनाब के बहाव पर भारत का नियंत्रण सीमित है। इस पानी से पाकिस्तान में कई प्रोजेक्ट और सिंचाई होती है।
पाकिस्तान का एक बड़ा इलाका सिंधु नदी के पानी पर आश्रित है। उरी में आतंकी हमले के बाद के हर कोने से एक ही आवाज उठी। पाकिस्तान को सबक सिखाओ, लेकिन सबक सिखाएं तो कैसे? पाकिस्तान के साथ सीधी जंग तो मुमकिन नहीं, इसलिए पाकिस्तान की कमर तोड़ने के लिए सिंधु जल संधि तोड़ने का प्रस्ताव सामने आया।
गौरतलब है कि 18 सिंतबर को जम्मू-कश्मीर के उरी में 12 ब्रिगेड की छावनी पर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में 18 सेना के जवान शहीद हो गए थे।