नई दिल्ली : राजद के विवादास्पद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को मिली जमानत के खिलाफ एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिस मामले में शहाबुद्दीन को जमानत मिली है उसमें उसे पहले ही उम्रकैद की सजा दी जा चुकी है।
जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने वाली महिला के तीन युवा बेटों को शहाबुद्दीन के एक वफादार ने बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया था। महिला के दो बेटों की हत्या के चश्मदीद तीसरे बेटे को बाद में कथित तौर पर शहाबुद्दीन की शह पर मारा गया था। महिला ने पटना उच्च अदालत के इस साल दो मार्च को आए फैसले को चुनौती दी है जिसमें अदालत ने शहाबुद्दीन को अपील लंबित रहने के दौरान स्थायी जमानत दी थी।
सिवान की सत्र अदालत ने दोहरे हत्याकांड में शहाबुद्दीन को फिरौती के लिए अपहरण और हत्या का दोषी पाया था और उसे उम्रकैद की सजा दी थी जबकि चश्मदीद युवक की मौत के मामले में मुकदमा चल रहा है। कलावती देवी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उच्च अदालत ने इस तथ्य पर ‘जरा भी गौर नहीं किया’ है कि शहाबुद्दीन एक खतरनाक अपराधी है जिसे कानून की जरा भी परवाह नहीं है। इसमें आगे कहा गया है कि हत्या, अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के दोषी को जमानत भी दे दी गई जबकि उसके खिलाफ कई और मामलों में मुकदमे अभी चल ही रहे हैं, यह तो न्याय का उपहास करने के समान है। कलावती के पति चंद्रकेश्वर प्रसाद की ओर से दायर एक अलग याचिका में 19 सितंबर को शीर्ष अदालत ने शहाबुद्दीन से जवाब मांगा था। इस याचिका में प्रसाद ने अपने तीसरे बेटे की हत्या के मामले में पटना उच्च अदालत की ओर से शहाबुद्दीन को दी गई जमानत को चुनौती दी थी।
इसके अलावा शीर्ष अदालत मारे गए पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी की ओर से दायर मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की याचिका की सुनवाई भी कर रही है। पत्रकार को भी कथित तौर पर शहाबुद्दीन के इशारे पर ही मारा गया था।
कलावती देवी ने बिहार सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दिए गए हलफनामे के हवाले से अपनी याचिका में कहा है कि नवंबर 2014 तक शहाबुद्दीन के खिलाफ कम से कम 38 मामलो में मुकदमे लंबित थे। ये मामले हत्या, हत्या की कोशिश, खतरनाक हथियार से दंगा करना, वसूली करने समेत कई गंभीर अपराधों से संबंधित हैं। उनकी याचिका पर संभवत: सोमवार को सुनवाई होगी।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण के जरिए दायर की गई इस याचिका में देवी ने कहा है कि उनके दो बेटे गिरीश और सतीश को शहाबुद्दीन के वफादारों ने अगवा कर लिया था। पहले तो उनकी बुरी तरह पिटाई की गई और बाद में एसिड डालकर उनकी हत्या कर दी गई। दोनों के शवों को नमक से भरे बोरे में बंद करके दफना दिया गया। याचिका में आगे आरोप लगाया गया है कि देवी के तीसरे बेटे राजीव रोशन को भी अगवा किया गया लेकिन वह उनके चंगुल से भाग निकलने में कामयाब रहा। वह अपने दोनों भाईयों की हत्या का चश्मदीद गवाह था। देवी ने दावा किया कि दोहरे हत्याकांड मामले के लंबित रहने के दौरान जून 2014 को रोशन की भी कथित तौर पर शहाबुद्दीन के कहने पर हत्या कर दी गई।
पटना उच्च अदालत ने एक अन्य मामले में सात सितंबर को शहाबुद्दीन को जमानत दे दी थी जिसके बाद 10 सितंबर को उसे भागलपुर जेल से रिहा कर दिया गया। दर्जनभर मामलों के कारण वह पिछले 11 साल से जेल में था।