खास खबर: जानें लाल किले में कैसे स्थापित हुआ स्वतंत्रता आंदोलन का राष्ट्रीय संग्रहालय

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नई दिल्ली: लाल किला भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लाल किला भारतीय आजादी का प्रतीक माना जाता है। 15 अगस्त, 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल क़िले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इस प्रकार, लाल क़िला स्‍वतंत्रता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया। लेकिन, लाल किला स्वतंत्रता का प्रतीक ऐसे ही नहीं है। लाल किले में कई राष्ट्रीय संग्रहालय भी हैं। उनमें स्वतंत्रता आंदोलन का राष्ट्रीय संग्रहालय भी शामिल है।

इस संग्रहालय में आंदोलन के राष्ट्रीय संग्रहालय में, स्‍वतंत्रता संघर्ष के इतिहास को छायाचित्रों, दस्‍तावेजों, चित्रों, अश्‍मलेखों और बन्‍दूकों, पिस्‍तौलों, तलवारों, ढालों, बिल्‍लों, पदकों, चित्रावलियों और विभिन्न तरह की प्रतिमाओं के जरिए दर्शाया गया है, जिससे आने वाली पीढ़ी को अपना इतिहास पता चल सके। उनको उन महान विभूतियों के बारे में पता चल सके। जिनके संघर्ष और कुर्बानियों से देश का आजादी मिली।

लेकिन, यह संग्रहालय कैसे सथापित हुआ। इसके बारे में जानना भी जरूरी है। दिल्ली में स्वतंत्रता आंदोलन के राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना की मांग सबसे पहले क्रांतिकारी स्वतंत्रता आंदोलन के योद्धा रहे पद्म भूषण दिवंगत शशि भूषण ने उठाई थी। स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनकारी भारत छोड़ा आंदोलन की रजत जयंती मनाने के लिए आयोजित बैठक में 9 अगसत 1966 को एक साथ जुटे थे। इसी बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया है।

दिवंगत शशि भूषण के पुत्र प्रशांत सी वाजपेयी ने बताया कि इस मांग को पूरा होने में पूरे 33 साल लग गए थे। 9 अगस्त, 1999 को भारत छोड़ो आंदोलन की स्वर्ण जयंती के अवसर पर भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री की ओर से लाल किला, दिल्ली में स्वतंत्रता आंदोलन का एक राष्ट्रीय संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित किया था।

उनका कहना है कि बाद में, भारत के राष्ट्रपति ने सलीमगढ़ किले में आईएनए के राष्ट्रीय संग्रहालय का उद्घाटन किया। स्वतंत्रता आंदोलन के ये राष्ट्रीय संग्रहालय अभी तक विश्व स्तरीय संग्रहालय नहीं बने हैं। आशा है कि स्वतंत्रता संग्राम पर अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय शीघ्र ही स्थापित किया जाएगा। अब जबकि लाल किले को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया गया है। आज जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं, लोगों को यह याद दिलाना एक ऐतिहासिक आवश्यकता है, जिससे स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों और राष्ट्रीय नेताओं की भूमिका के बारे में आने वाली पीढ़ी अच्छ तरह से जान सके।

संग्रहालय में इनकी जानकारी

  • 1857 के विद्रोह की प्रारम्‍भिक अवस्‍था।
  • प्रथम भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम – 1857 ई.।
  • बीच की अवधि में भारत – 1858-1884 ई.।
  • कांग्रेस की उत्‍पत्‍ति – 1885-1905 ई.।
  • नरमपंथी और चरमपंथी चरण – 1906-1919 ई.।
  • गांधी युग का प्रारम्‍भ 1920-1929 ई.।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान भारत 1930-1939 ई.।
  • भारत छोड़ो आंदोलन – 1942 ई.।
  • इंडियन नेशनल आर्मी – 1942 ई.।
  • भारत की स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति – 15 अगस्त, 1947।