न्यायपालिका में फै’ले भ्रष्टा’चार के खि’लाफ कठो’र कदम उठाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज एसएन शुक्ला के खि’लाफ मा’मला दर्ज करने की इजा’जत सीबीआई को दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दो चीफ जस्टिस, एसएन शुक्ला के खि’लाफ कार’वाई करने के आदेश दे चुके हैं। हाई कोर्ट के जज एसएन शुक्ला के खि’लाफ एक निजी मेडिकल कालेज में अवै’ध रूप से फाय’दा पहुंचाने का आरो’प है।
लेकिन जब प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी गई तो पीएमओ में जानकारी देने से इं’कार कर दिया। आरटीआई में पूछा गया था कि क्या पीएमओ ने कर’वाई के लिए राज्यसभा सचिवा’लय को पत्र लिखा या कोई संपर्क किया?
साथ साथ यह भी पूछा गया कि आरो’पी जज को ह’टाने के विषय में पीएमओ और नियाय विभाग के बीच कोई बातचीत हुई? लेकिन पीएमओ ने इसका जवाब देने से मना कर दिया। पीएमओ ने कहा कि आरटीआई एक्ट के सेक्शन 8 (1)(एच) के तहत कोई जानकारी नहीं दी जा सकती। क्योंकि मांगी गई जानकारी से माम’ले की जांच में रु’कावट आ सकती है।
बता दें, यह माम’ला लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़ा है, जिस पर 2017 में मानकों को ना पूरा करने की वजह से प्रतिबं’ध लग गया था। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई के मानकों और सुविधाओं की कमी पाई थी। इसके बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट प्रशासन इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया। माम’ले की सुनवाई करते हुए एसएन शुक्ला ने इस प्रतिबं’ध को ह’टा दिया था।
फिलहाल एसएन शुक्ला को किसी कोर्ट में बैठने की इजाज़त नहीं और वह सारे कानूनी कामों से भी दूर हैं। जनवरी, 2018 में इस माम’ले पर 3 जजों की कमेटी ने एसएन शुक्ला पर लगे आरो’पों की करवाई की थी और इनके खि’लाफ कारवाई करने लायक सबू’त भी मिले थे।