कोरोना काल के दौरान और राज्यों की तरह महाराष्ट्र में भी सियासी हलचल बढ़ती जा रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पीएम मोदी से हुई मुलाकात के बाद सियासी तापमान और भी ज्यादा बढ़ गया। ऐसे में अंदाजा लगाया जाने लगा कि राज्य की शिवसेना सरकार में कोई बड़ा फेरबदल हो सकता है। इस अफवाह को हवा दी केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने, उन्होंने अपने एक बयान से पूरे महाराष्ट्र सरकार में खलबली मचा दी। उन्होंने अपने बयान में कहा कि शिवसेना और भाजपा का जल्दी ही गठबंधन होने वाला है। जिसके बाद राज्य में ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियों में मुख्यमंत्री पद बंट सकता है।
उन्होंने कहा कि “शिवसेना और भाजपा ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद बांट सकते हैं और महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का जल्द ही गठबंधन हो सकता है। जिसके बाद अब शिवसेना के संजय राउत का बयान सामने आया है। जिसके जरिए उन्होंने इन सब अफवाहों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी के साथ ही खुश हैं। यहां फेरबदल को कोई उम्मीद नहीं है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक लेख के जरिए उन्होंने अपनी ये बात लोगों तक पहुचाई।
उन्होंने कहा कि “शिवसेना को मुख्यमंत्री पद का वचन पांच साल के लिए दिया गया है। अभी ऐसी कोई भी संभावना दिखाई नहीं दे रही है जिससे परिवर्तन की बात कही जाए। भाजपा ने चुनाव से पहले शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद देने का वचन दिया था लेकिन बाद में उसने पालन नहीं किया। इस पीड़ा के बाद शिवसेना ने नई सरकार का गठन किया।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जो अफवाहें उड़ रही है वो पूरी तरह गलत हैं।
संजय राउत ने आगे कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद के लिए आश्वासन मिलने की संभावना ना के बराबर है। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि दोनों पार्टियों के बीच विवाद ही सीएम की कुर्सी को लेकर हुआ था। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद जिस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं वह पूरी तरह से गौण हैं। महाराष्ट्र में अभी की सरकार के बीच बेहतरीन तालमेल है। कांग्रेस-एनसीपी के नेता सीएम उद्धव ठाकरे के काम में दखल नहीं देते। मुख्यमंत्री अपने सभी निर्णय खुद लेते हैं। इस व्यवस्था को खरोंच भी आए, ऐसा कुछ नहीं होगा।”