मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के गंभीर आरोपों के बाद महाराष्ट्र सरकार पर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। खबर है कि उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है और कोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले को बॉम्बे हाई कोर्ट में ले जाने को कहा। परमबीर ने इस याचिका में महाराष्ट्र (Maharashtra) के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी।
बुधवार को कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि “मामले में अनिल देशमुख को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया? इस मामले में आप कुछ आरोप लगा रहे है और मंत्री कुछ आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में हाई कोर्ट सुनवाई क्यों नहीं कर सकता, हम मानते हैं कि ये मामला बेहद गंभीर है, इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट कर सकता है, आपकी जो भी डिमांड है, आप हाई कोर्ट के समक्ष रखें।” परमबीर सिंह का पक्ष रख रहे वकील से कोर्ट ने कहा कि “आपने संबंधित विभाग को पक्ष क्यों नहीं बनाया है? आपने अनुच्छेद 32 के तहत क्यों याचिका दाखिल की है, 226 तहत क्यों नहीं की?” जिसके बाद उनसे हाईकोर्ट जाने को कह दिया।”
बता दें कि इस दौरान परमबीर सिंह ने अपने तबादले को लेकर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनका मनमाना और गैरकानूनी है। उन्होंने इसको रद्द करने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि वह राज्य सरकार, केंद्र तथा सीबीआई को देशमुख के आवास की सीसीटीवी फुटेज फौरन कब्जे में लेने का आदेश दें। परमबीर के आरोप के मुताबिक महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सभी बड़े पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकर उन्हें हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का लक्ष्य दिया था।