रेलवे कर्मचारियों की पत्नियों ने कोरोना वाय’रस की लड़ा’ई में दिया योगदान..

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विश्वभर में फैली महामा’री कोरोना वाय’रस से निपटने के लिए सभी लोग अपनी अपनी तरफ से कोशिशें कर रहे हैं। सरकारों के साथ साथ बड़े बड़े उद्योगपति, बॉलीवुड सितारें, क्रिकेट जगत के दिग्गज खिलाड़ियों के साथ साथ आम जनता भी इनमे शामिल हैं। बता दें कि उत्तर पश्चिम रेलवे के चारों बोर्ड भी कोरोना वाय’रस के विरू’द्ध लड़ रहे हैं। रेलवे अधिकारी सरकारी आदेशों के साथ साथ अपनी तरफ से भी कोरोना वाय’रस से लड़ने के लिए लोगों की मदद कर रहे हैं। जिसके चलते रेलवे कर्मचारियों की पत्नियां भी अपने अपने घरों में वह सामान बनाने की कोशशें कर रही हैं जो इस मुश्किल वक़्त में लोगों के काम आ सकें।

बता दें कि कोरोना वाय’रस के कार’ण लगाए लॉकडाउन की वजह से रेलवे ने सारी ट्रेनें रद्द कर दी हैं। बस मालगाड़ी चलने की इजाज़त दी है। जिसके कार’ण लोको पायलट से लेकर गेटमैन तक मालगाड़ी में रसद सामग्री पहुंचाने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही रेलवे का छोटे से छोटा कर्मचारी और उनकी पत्नियां जो सिलाई जानती हैं वह अपने घरों में जरूरतमंदो के लिए मॉस्क बना रही हैं। इसके साथ ही अजमेर मंडल के तहत रेलवे का जो कारखाना है वह भी मास्क तैयार करवा रहा है। कारखाने में जो मास्क बनाए जा रहे हैं वह कर्मचारियों के इस्तेमाल में आ रहे हैं साथ ही जो मास्क घरों में बनाए जा थे है वह जरूरतमंदो को मुफ्त में दिए जा रहे हैं। बता दें कि अब तक रेलवे कर्मचारियों की पत्नियों ने 8000 मॉस्क बनाकर जरूरतमंद लोगों में बांट दिए हैं।

एनडब्लयूआर के सीपीआरओ अभय शर्मा ने बताया कि “रेलवे कर्मचारियों के लिए सेनेटाइजर का भी इंतज़ाम किया जा रहा है। मालगाड़ी में चलने वाला तमाम स्टॉफ ऐसे सेनेटाइजर का इस्तेमाल कर रहा है, जिसे हाथ लगाए बिना ही हाथ धोए जा सकते है। इस सेनेटाइजर को टैंक में डाल दिया गया है। टैंक का लीवर पैरों के इस्तेमाल से दबाया जाता है तो ये सेनेटाइजर हाथों में आ जाता है।” उन्होंने कहा कि रेलवे के कर्मचारी जब अपने काम पर चले जाते हैं तो उनकी पत्नियां घरों में ज़िम्मेदार नागरिक होने की भूमिका निभाती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि रेल कर्मचारियों के परिजनों की ओर से इस मुश्किल समय में किया जा रहा यह कार्य दूसरों के लिए बेहद प्रेर’णादायी है।