पुल’वामा हम’ले में शही’द हुए मेजर की पत्नी इस तरह से देंगी अपने पति को श्रद्धां’जलि..

0
217

18 फरवरी 2019 को पुल’वामा में आतं’कियों से हुए एनका’उंटर में मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल शही’द हो गए थे। मेजर विभूति देहरादून के रहने वाले थे। उनकी शादी को तब सिर्फ 10 महीने हुए थे। पति को खो’ने पर निकिता ने भी से’ना में जाने का मन बनाया था। इसके लिए उन्होंने सारी परी’क्षाएं और इंटरव्यू भी पास कर लिए हैं। निकिता अब मेरिट लिस्ट के इंत’जार में हैं। इस बारे में बात करते हुए नितिका ने कह कि पति को श्रद्धां’जलि देने का यह उनका अपना तरी’का है।

मेजर विभूति 17 फरवरी, 2019 को पुलवामा में आतं’कियों के खि’लाफ ऑपरे’शन में शही’द हो गए थे। करीब 20 घंटे चली इस मुठ’भेड़ में तीन अन्य सैनिक भी शही’द हो गए थे। पति की शहा’दत के बाद जब पहली बार निकिता ने तिरंगे में लि’पटे अपने पति के श’रीर को देखा, तब वह उनके कान के नजदीक पहुंची और कहा, “मैं तुमसे प्यार करती हूं।” आज निकिता भी पति की तरह देश सेवा के लिए आ’र्मी की व’र्दी पहनने के लिए तैयार हैं।

नीतिका दिल्ली में अपने माता पिता के साथ रहती हैं और वह पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थीं लेकिन अब वह पति की तरह आ’र्मी ऑफिसर बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “मैं नई चीजों को सीखना चाहती हूं क्योंकि मैं पहली बार कॉर्पोरेट कल्चर से बा’हर निकल रही हूं।”

उन्होंने कहा, “पति को खो’ने के बाद मुझे इस सब से बा’हर निकलने में काफी वक्त लगा और एसएससी की परी’क्षा देने का निर्णय मैंने काफी सोचने के बाद लिया। पिछले साल सितंबर में एसएससी की परी’क्षा के लिए फॉ’र्म भ’रना एक बड़ा फै’सला था लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मैं अपने पति की तरह ही देश की से’वा करना चाहती हूं।”

निकिता ने कहा कि “जब मैं एग्जाम और इंटरव्यू दे रही थी तब मैं मह’सूस कर सकती थी कि विभूति उस वक्त कैसा मह’सूस कर रहे थे। उस वक्त मैंने खुद को उनकी तरह ड’र और चिं’ता से खुद को जु’ड़ा हुआ मह’सूस किया। इन सब ने मुझे भी ता’कत दी।”

भारतीय से’ना यु’द्ध में शहीद सैनिकों की विधा’वाओं को आर्मी ज्वाइन करने के लिए आयु सीमा में छूट देती है। हालांकि चयन प्र’क्रिया में कोई बद’लाव नहीं होता। निकिता कहती हैं, “परीक्षा पास करने के लिए मैंने बहुत मेह’नत की। अब मैं एक साल की ट्रेनिंग में श्रे’ष्ठ होना चाहती हूं। मैं एक ऐसी अधि’कारी बनना चाहती हूं जिसपर सभी को ग’र्व हो… विभूति को ग’र्व हो।”