जम्मू-कश्मीर : जम्मू-कश्मीर में 2018 से लागू राष्ट्रपति शासन को रविवार को हटा लिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही उमर अब्दुल्ला के लिए सरकार बनाने का रास्ता भी साफ हो गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने से पहले राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश जारी कर दिया है। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 73 के तहत राष्ट्रपति शासन का आदेश जारी किया था।
जम्मू-कश्मीर में 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू था। 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा-पीडीपी ने गठबंधन की सरकार बनाई थी लेकिन बाद में भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
तब राज्य संविधान की धारा 92 के अनुसार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था। उस समय जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 नहीं हटा था। 6 महीने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था, जिसे बाद में और बढ़ा दिया गया।
नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के दावे के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने लोकतांत्रिक सरकार के गठन की मंजूरी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया। उसके बाद गृह मंत्रालय और मंत्रिमंडल राष्ट्रपति शासन हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करता है और फिर अंत में राष्ट्रपति की ओर से अधिसूचना जारी कर दी जाती है। इसके बाद विधानसभा निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के माध्यम से कार्य शुरू कर देती है।
विधानसभा में नेकां-कांग्रेस गठबंधन के पास बहुमत है। 90 सदस्यीय विधानसभा में नेकां के 42 और कांग्रेस के छह सदस्य हैं। इसके अलावा माकपा और आप के एक-एक विधायक और पांच निर्दलीय भी सरकार का समर्थन कर रहे हैं। भाजपा 29 विधायकों के साथ विपक्ष में रहेगी।
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव कराए गए। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में वोट डाले गए थे। 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटें मिली तो वहीं उसकी गठबंधन सहयोगी पार्टी कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटों पर ही जीत मिली है। भाजपा 29 सीटें जीतकर दूसरी बड़ी पार्टी बन गई है। इस चुनाव में निर्दलीयों ने भी 7 सीटों पर कब्जा जमाया है।