देहरादून: उत्तराखंड ने आज से एक खास अभियान शुरू किया है। यह अभियान बच्चों से भिक्षावृत्ति की प्रभावी रोकथाम करने, भिक्षा न दिये जाने, लोगों का जागरूक करने, भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने और उनके पुनर्वास करने के लिए चलाया जा रहा है। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि यह अभियान अगने दो महीने तक प्रदेशभर में चलेगा। इसकी थमी अभियान की थीम भिक्षा नहीं, शिक्षा दें है।
इसकी शुरूआत 2017 में हुई थी। तब से लगातार समय-समय पर उत्तराखंड पुलिस इस अभियान को चलाती आई है। अभियान के अन्तर्गत अभी तक भिक्षावृत्ति से हटाकर कुल 1430 बच्चों का स्कूल/डेकेयर होम में दाखिला कराया गया है।
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि सामाजिक व मानवीय कार्यों में पुलिस की अहम भूमिका होती है। इसी कड़ी में ऑपरेशन मुक्ति चलाया गया। जिसके तहत भिक्षा मांगने वाले बच्चों को शिक्षा देने की कोशिश की गई है। इस मुहिम में लोगों को भी जागरूक किया गया है कि वह बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा देकर अपना कर्तव्य निभाएं। इससे बच्चों को अपना बचपन जीने को मिलेगा। शिक्षा के अभाव में कुछ बच्चे अपराध की ओर बढ़ जाते हैं। इनके स्कूल जाने से अपराध की प्रवृति में भी रोक लगेगी।
ऑपरेशन मुक्ति अभियान तीन चरणों में चलाया जाता हैः
प्रथम चरणः- भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों व उनके परिवारों का पूर्ण विवरण संलग्न प्रारूप में तैयार करना तथा ऐसे बच्चे जिनका विद्यालयों/डे केयर में दाखिला किया जाना है, का चिन्हिकरण करना।
द्वितिय चरणः समस्त स्कूल-कॉलेजों, सार्वजनिक स्थानों, महत्वपूर्ण चौराहों, सिनेमाघरों, बस व रेलवे स्टेशनों, धार्मिक स्थलों आदि स्थानों पर बच्चों को भिक्षा न दिये जाने के सम्बन्ध में बैनर, पोस्टर, पम्पलेट, नुक्कड़ नाटक, लाउड स्पीकर, शार्ट मूवी व सोशल मीडिया आदि के माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाकर जनता को जागरूक करना।
तृतीय चरणः भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनके तथा उनके माता-पिता की कॉउन्सलिंग कर बच्चों को शिक्षा प्रदान करने तथा उनके माता-पिता को रोजगार दिलाने का प्रयास करना। बच्चों के पुनः भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर उनके माता/पिता के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कर कार्यवाही करना तथा किसी भी प्रकार का संदेह होने पर डी0एन0ए0 टेस्ट की कार्यवाही करना।
अभियान के अन्तर्गत जनपद देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल में चार टीमों (उपनिरीक्षक-1, आरक्षी-4) का गठन किया गया है। शेष जनपदों में एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम द्वारा उक्त अभियान को चलाया जा रहा है। रेलवे में भी एक टीम का गठन किया गया है।