नेपाल में नए (Nepal New Map) नक्शे का आगाज़ हुआ है जिसको लेकर काफी घमा’सान जारी है। नेपाल के द्वारा जारी किए गए इस नक्शे में नेपाल ने उत्तराखंड के कुछ इलाकों को अपना बताया है। नेपाल ने उत्तराखंड के लिपुलेख (Lipulekh), कालापानी (kalapani), और लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) इलाके को अपना हिस्सा बताया है। नेपाल के इस नए नक्शे के मुताबिक उत्तराखंड के तीन गांव, गंजी, कुती और नबी वहां के आंतरिक हिस्से हैं। बता दें कि उत्तराखंड यह गांव बहुत ज़्यादा मह्वपूर्ण गांव है यहां बहुत ज़्यादा मात्रा में ब्यूरोक्रेट्स है। उत्तराखंड के इन गांवो की आबादी कुल मिलाकर 3000 के आस पास है। जिसमें से यहां करीब आधा दर्जन आईपीएस और आईएसएस अधिकारी और इसके अलावा पीपीएस और पीसीएस अधिकारी मौजूद है।
बताया जा रहा है कि इनमें से एक 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय गुंजयाल भी हैं। जो इस समय आईजी कुंभ मेला हैं। इसके साथ ही यहां के आईएएस अधिकारी विनोद गुंजयाल बिहार में और 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हेमंत कतियाल उत्तर प्रदेश में तैनात हैं। इसके अलावा भी बहुत से अधिकारी अलग अलग जगहों पर तैना’त है। इसी के साथ यहां के दूसरे आधिकारी भी है। 2004 बैच की राज्य पुलिस सर्विस अधिकारी विमला गुंजयाल है। जिन्होंने कुछ समय पहले ही आईपीएस रैंक में प्रमोशन लेकर उत्तराखंड पुलिस में डीआईजी का पद हासिल किया। विमला की तरह दूसरे एसपीएस अधिकारी धीरेंद्र सिंह गुंजयाल भी इसी इलाके से आते है और इन्होंने भी 2016 में आईपीएस में प्रमोशन पाया।
इसी तरह इस इलाके के पीसीएस अधिकारी अजय सिंह नाबियाल ने भी आईएएस अधिकारी के रूप में प्रमोशन हासिल किया और वह अब चमोली जिले के डीएम के साथ-साथ वह मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के वीसी और कुमाऊं रेंज के कमिश्नर भी रह चुके हैं। बता दें कि वे भी नबी गांव से हैं। वहीं इस इलाके की इंपॉर्टेंस बताते हुए संजय गुंजयाल ने कहा कि “गुंजी एक मशहूर गांव है और तिब्बत के लोग कई साल से यहां की मंडी में सामान खरीदने आते हैं। गुंजी कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान पड़ने वाला आखिरी गांव है और यहां के लोग पूरी तरह से देश को स’मर्पित हैं। गुंजी में ही एसएसबी और आईटीबीपी के कंपनी हेडक्वॉ’र्टर हैं और यहां एक सैन्य ठि’काना भी है।” पिथौरागढ़ के गरभ्यांग गांव से आए एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस गबरियाल ने बताया कि “पूरी बेल्ट में कई गांव हैं जैसे नपलचू, गरभ्यांग, नबी, कुती और गुंजी जिन्होंने देश को कई आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी दिए। यह बेल्ट हाई एजुकेशनल स्टैंडर्ड के लिए जानी जाती है। पिछले 30-40 सालों में कभी किसी तरह का सीमा वि’वाद नहीं हुआ। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और गुमराह करने जैसा है कि नेपाल इन तीनों गावों को अपना इलाका बता रहा है।”