हाईकोर्ट के फैसले से मोदी सरकार और भाजपा की उलझन बढ़ी

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उत्तराखंड में रावत सरकार की विदाई के साथ सरकार बनाने का तानाबाना बुन रही भाजपा की बनी बनाई रणनीति पर नैनीताल हाईकोर्ट ने फिलहाल पानी फेर दिया है। इस फैसले से भाजपा और मोदी सरकार कानूनी पेंच में भी बुरी तरह उलझ गई है।

सरकार फिलहाल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर विचार कर रही है। अगर शीर्ष अदालत में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगी तो सरकार को राज्य में रविवार को लगाया गया राष्ट्रपति शासन हटाना होगा।

शीर्ष अदालत में जाने के बदले नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को स्वीकार करने की स्थिति में भी केंद्र को राष्ट्रपति शासन हटाना होेगा। फिलहाल केंद्र सरकार और भाजपा हाईकोर्ट के फैसले के तकनीकी पेंच को समझने के लिए कानूनी राय ले रही है।

हालांकि संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद कई सवाल अनसुलझे हैं। दरअसल भाजपा और सरकार को हाईकोर्ट से इस तरह के फैसले की उम्मीद नहीं थी।

यही कारण है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के बाद इस पर संसद की सहमति लेने की प्रक्रिया से बचने के लिए पार्टी के रणनीतिकारों ने बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू होने से पहले सरकार गठन करने की रणनीति भी तैयार कर ली थी।

पार्टी के लिए मुश्किल यह है कि हाईकोर्ट ने कांग्रेस के 9 बागी विधायकों को भी शक्ति परीक्षण के दौरान मत डालने का अधिकार तो दिया है, मगर इनके मतों को फिलहाल अलग रखने का आदेश दिया है।

ऐसे में भाजपा को डर इस बात का भी है कि कहीं इन विधायकों के मतों को अयोग्य घोषित कर रावत सरकार बहुमत न हासिल कर ले।