‘शक्तिमान’ की प्रतिमा पर उत्तराखंड में सियासत गरमाई

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चार महीने पहले उत्तराखंड में सियासी तूफान का सबब बने राज्य पुलिस के घोड़े ‘शक्तिमान’ की राज्य विधानसभा के पास रिस्पना पुल पर प्रतिमा लगाने और फिर रातोंरात हटा देने से प्रदेश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। उधर रिस्पना पुल पर लगी प्रतिमा पर हुई तीव्र प्रतिक्रिया के बाद पुलिस लाइंस में लगी घोडे की एक अन्य प्रतिमा का अनावरण करने से मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इनकार कर दिया है।
उत्तराखंड विधानसभा के पास रिस्पना पुल चौराहे पर दो दिन पहले लगाई गई शक्तिमान की मूर्ति हटा ली गई। माना जा रहा है कि ड्यूटी पर घायल होने के कारण मौत का शिकार हुए शक्तिमान की प्रतिमा लगाने के बाद सोशल मीडिया सहित जनता में हुई तीव्र प्रतिक्रिया की वजह से उसे हटा लिया गया। घोड़े की प्रतिमा के विरोध के कारण उसे लगाने और रातोंरात हटाने वाली संस्था मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने इसे हटाने का कोई कारण भी नहीं बताया है। इस बारे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि घोडेÞ की मूर्ति परीक्षण के लिए लगाई गई थी। इसमें रह गई कमियों को दूर कर इसे फिर से स्थापित कर दिया जाएगा। रिस्पना पुल चौराहे से शक्तिमान की मूर्ति हटाने को लेकर विपक्षी भाजपा ने भी राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने शक्तिमान की मूर्ति भाजपा को बदनाम करने के लिए लगाई थी। अब वह यह भी नहीं बता रही कि रातोंरात वह आखिर कहां चली गई। भट्ट ने घोड़े की मूर्ति लगाने के औचित्य पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार केवल घोडेÞ पर सियासत करना चाहती है वरना वह इसकी जगह राज्य आंदोलन के दौरान प्राण गंवाने वाले आंदोलनकारियों की मूर्तियां लगाती। शक्तिमान की एक और प्रतिमा देहरादून पुलिस लाइंस में स्थापित की गई है। लेकिन रिस्पना पुल पर लगी प्रतिमा पर हुई प्रतिक्रिया को देखते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसका अनावरण करने से इनकार कर दिया है। जबकि पुलिस सूत्रों ने कहा कि पुलिस लाइंस में लगी प्रतिमा वहीं स्थापित रहेगी। उसे नहीं हटाया जाएगा।
प्रदेश के गृह मंत्री प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने शक्तिमान की मूर्ति लगाने का फैसला किया था लेकिन अब मुख्यमंत्री रावत ने उसके अनावरण का मसला अगली चुनी हुई सरकार पर छोड़ने का फैसला किया है। गत 14 मार्च को भाजपा की राजनीतिक रैली के दौरान पैर टूटने से घायल हुए शक्तिमान को लेकर प्रदेश में सियासी तूफान उठ गया था। राज्य पुलिस ने इस संबंध में मसूरी से भाजपा विधायक गणेश जोशी और दो अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी भी की थी। घायल शक्तिमान का उपचार कराया गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। एक महीने से ज्यादा समय तक चोट से जूझने के बाद 20 अप्रैल को उसने दम तोड़ दिया।