पोस्टपेड सेवा शुरू होने के बावजूद, कश्मीर में आउटगोइंग कॉल ने खड़ी की परेशानी

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प्रतीकात्मक तस्वीर

5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा यानी अनुच्छेद 370 हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फ़ैसले के बाद से ही वहां पर संचार सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। संचार सेवाओं को सरकार ने एहतियातन बंद किया था। जिससे फ़ोन के नेटवर्क का इस्तेमाल दंगे भड़काने में ना हो सके। उल्लेखनीय है कि सरकार ने पहले ही सीमित संख्या में लैंडलाइन की सुविधा को बहाल कर दिया था।

बता दें कि अब सरकार ने पोस्टपेड सुविधा को तो बहाल कर दिया है। लेकिन प्रीपेड सेवा के लिए कश्मीर के लोगों को अभी थोड़ा इंतज़ार और करना होगा। ग़ौरतलब है कि कश्मीर घाटी में क़रीब 70 लाख मोबाइल कनेक्शन हैं। जिसमें से 40 लाख पोस्टपेड फ़ोन ने काम करना शुरू कर दिया है। जबकि 30 लाख प्रीपेड फ़ोन हैं। जिन्हें अभी तक बहाल नहीं किया गया है। साथ ही अभी तक यह भी जानकारी नहीं दी गई है, कि इंटरनेट सेवा कब से शुरू की जाएंगी।

सरकार का कहना है कि प्रतिबंध को चरणबद्ध तरीके से हटाया जायेगा। ग़ौरतलब है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मोबाइल और लैंडलाइन सेवा को बंद करने के सरकार के क़दम का समर्थन करते हुए कहा था, कि लोगों की सुरक्षा सेल फ़ोन सेवाओं से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है। जिसका उपयोग आतंकवादियों द्वारा ‘भीड़ जुटाने के लिए किया जाता है’ उन्होंने कहा था कि, ‘लोग पहले भी टेलीफ़ोन के बिना रहते थे। हमारे लिए एक कश्मीरी का जीवन महत्वपूर्ण है, टेलीफ़ोन नहीं।’