जस्टिस यूयू ललित बने देश के 49वें CJI

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नई दिल्ली : जस्टिस उदय उमेश ललित ने आज देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वो दो महीने दो हफ्ते यानी कुल 75 दिन तक सुप्रीम कोर्ट की अगुआई करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई। जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के प्रधान न्यायाधीश बने। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ दिलाई। जस्टिस ललित भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश बने हैं।

महाराष्ट्र के ललित के परिवार को कानून में 102 साल की विरासत है। जस्टिस यूयू ललित के दादा रंगनाथ ललित भारत की आजादी से बहुत पहले सोलापुर में एक वकील थे। शनिवार को जब जस्टिस यूयू ललित सीजेआइ के रूप में शपथ ली, तो इस समय तीन पीढ़ियां मौजूद रहीं। जस्टिस यूयू ललित ने न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में कम से कम एक संविधान पीठ साल भर काम करे।

शनिवार को 49वें CJI बनने वाले जस्टिस ललित ने कहा कि अन्य दो क्षेत्र हैं शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करना और जरूरी मामलों को मेंशन करना। जस्टिस ललित ने कहा कि जिन क्षेत्रों में वह काम करना चाहते हैं उनमें से एक संविधान पीठों के समक्ष मामलों की सूची और विशेष रूप से तीन जजों की पीठ को भेजे गए मामलों के बारे में है। मामलों की लिस्टिंग करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, अतिआवश्यक मामलों को मेंशन करने के संबंध में वह निश्चित रूप से गौर करेंगे।

जस्टिस उदय उमेश ललित क्रिमिनल लॉ के स्पेशलिस्ट हैं। उन्हें 13 अगस्त 2014 को सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इसके बाद उन्हें मई 2021 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2G मामलों में CBI के पब्लिक प्रोसिक्यूटर के रूप में ट्रायल्स में हिस्सा ले चुके हैं। वे दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

जस्टिस यूयू ललित महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। वह जून 1983 में बार में शामिल हुए थे और 1986 से शीर्ष अदालत में प्रैक्टिस करना शुरू किया। उन्होंने 1986 से 1992 तक पूर्व अटार्नी जनरल, सोली जे. सोराबजी के साथ काम किया। 9 नवंबर 1957 को जन्में जस्टिस ललित जून 1983 में एक वकील के रूप में नामांकित हैं। उन्होंने दिसंबर 1985 तक बाम्बे उच्च न्यायलय में प्रैक्टिस की। जनवरी 1986 से उन्होंने दिल्ली में प्रैक्टिस शुरू कर दी। अप्रैल 2004 में वह सर्वोच्च न्यायालय के कानूनी सेवा समिति के सदस्य बने और 13 अगस्त 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए।