भारत ने चीन और पाकिस्तान के मंसूबों को चुनौती देते हुए सामरिक और कूटनीतिक दृष्टि से एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। ईरान के चाबहार बंदरगाह बन्दरगाह पर भारत अपनी रणनीतिक उपस्थिति दर्ज कराकर चीन और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। बंदरगाह के विस्तार को बढ़ाने का ये कदम पाकिस्तान में चीनी निवेश से बन रहे ग्वादर बंदरगाह का जवाब माना जा रहा है। इस बंदरगाह के विस्तार क्षेत्र का उद्घाटन रविवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने किया।
दरअसल, ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत के लिए इसलिए अहम माना जा रहा है कि भारत इस बंदरगाह की मदद से अब पाकिस्तान का रास्ता बचा कर ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक आसान और नया व्यापारिक मार्ग अपना सकता है।
आपको बता दें कि पिछले साल मई में ईरान के साथ हुए एक करार के तहत भारत ने 10 साल के पट्टे पर इस बंदरगाह में 852.10 लाख डॉलर के निवेश एवं 229.5 लाख डॉलर के सालाना राजस्व खर्च के साथ प्रथम चरण में दोनों गोदियों को माल चढ़ाने उतारने के यंत्र उपकरणों एवं सुविधाओं से लैस करने तथा उनके परिचालन की जिम्मेदारी ली।
यह बदरगाह भारत के लिए मध्य एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। खासकर अफगानिस्तान और रूस से भारत का जुड़ाव और बेहतर हो जाएगा। इस बंदरगाह के जरिए भारत अब बिना पाकिस्तान गए ही अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप से जुड़ सकेगा। अभी तक भारत को अफगानिस्तान जाने के लिए पाकिस्तान होकर जाना पड़ता था।