पंजाब से सटे भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा अब लेजर दीवार के जरिए की जाएगी। इस दीवार को अब एक्टिवेट कर दिया गया है जिसकी वजह से इस रास्ते से आतंकी घुसपैठ नामुमकिन हो गया है। इन दीवारों को नदियों, जंगलों और दुर्गम स्थालों पर लगाया गया है जहां सुरक्षा जवानों की नजर से बचकर घुसपैठिए आसानी से भारत में घूस आते थे।
भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों ने बताया कि दो साल पहले ही दुर्गम स्थानों पर लेजर वॉल बनाने की जरूरत बताई गई थी जिसके बाद सरकार ने इसे स्थापित करने की मंजूरी दे दी थी। यह वॉल लेजर लाइटों के अलावा इंफ्रारेड प्रणाली से भी लैस है जो घुसपैठ का पता लगाने में सक्षम है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका पता आतंकी घुसपैठियों को भी नहीं चल पाएगा कि इस प्रणाली की इस्तेमाल कहां किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा चार अन्य जगहों पर इस प्रणाली को स्थापिक किया जाएगा जिसके जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।
इस नए प्रणाली की निगरानी भी कि जिम्मेदारी भी बीएसएफ के जिम्मे ही होगी। ये जवान जम्मू कश्मीर, पंजाब, गुजरात और राजस्थान सीमा की निगरानी करते हैं। अधिकारियों के मुताबिक पहले इस प्रणाली को कुछ ही इलाकों में स्थापित किया जाना था लेकिन जनवरी महीने हुए पठानकोट हमले के बाद इसका और ज्यादा विस्तार किया जा रहा है। जांच एजेंसियों के मुताबिक पठानकोट हमले के आतंकी भारत-पाक सीमा पर स्थित बामियाल इलाके से देश में घुसे थे। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार और बीएसएफ ने इसका दायरा बढ़ाने ने पर अपनी सहमति जताई थी।
बीएसएफ के अधिकारियों के मुताबिक इस प्रणाली को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जम्मू सीमा के कुछ इलाकों में लगाए गए थे जिसके परिणाम काफी उत्साहजनक थे। पायलट प्रोजेक्ट के सफलता के बाद ही इसे देश की अन्य सीमाओं पर स्थापित करने पर सहमति बनी थी।
उन्होंने बताया कि इस प्रणाली के सेंसर की निगरानी सैटेलाइट-आधारित सिंग्नल कमांड के जरिए किया जाएगा जो रात्री और धुंध में भी काम करने में सक्षम है। इसके अलावा चार अन्य पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है जम्मू और गुजरात में स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 30 से 40 किमी तक फैला हुआ है।