हाई स्‍पीड टैल्‍गो ट्रेन : सपने को पटरियों पर हकीकत बनने में लगेगा अभी वक्‍त

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स्‍पेनिश टैल्‍गो ट्रेन ने दिल्‍ली-मुंबई की निर्धारित 12 घंटे की यात्रा को 18 मिनट रहते हुए भले ही पूरा कर लिया हो लेकिन भारतीय रेलवे का हिस्‍सा बनने में इसे कम से एक साल का वक्‍त लगेगा. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक इसको कमर्शियल रूप से हरी झंडी देने से पहले सुरक्षा मानकों समेत कई मुद्दों का पहला निपटारा करना होगा.
इसके ट्रायल रन के डाटा का विश्‍लेषण भारतीय रेलवे द्वारा करने के बाद उसे स्‍वतंत्र निकाय रेलवे सुरक्षा कमिश्‍नर के पास भेजा जाएगा. उनके द्वारा संतुष्‍ट होने और इसे हरी झंडी देने के बाद ही रेलवे अंतिम बाधा के निपटाने के लिए इसकी खरीद प्रक्रिया शुरू करेगी.
इस संबंध में रेलवे के प्रवक्‍ता अनिल सक्‍सेना का कहना है, ”हमने इस संकल्‍पना को साबित कर दिया है कि उस स्‍पीड को हासिल कर सकते हैं. अब डाटा का विश्‍लेषण किए जाने की जरूरत है.” रेलवे इसके टेक्निकल और स्‍पीड टेस्‍टों के नतीजों को मिलाकर अध्‍ययन करने के बाद ही टैल्‍गो कोचों की खरीद पर निर्णय करेगा.
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इस वक्‍त रेलवे, टैल्‍गो से कोचों को लीज पर लेने पर विचार कर रहा है. दूसरे विकल्‍प में इनके कमर्शियल उपयोग के लिए निजी कंपनियों को इन स्‍पेनिश कोचों की खरीद की अनुमति देने का भी प्रस्‍ताव है.
उल्‍लेखनीय है कि दिल्‍ली और मुंबई का रेलवे ट्रैक करीब 1400 किमी दूरी कवर करता है. फिलहाल राजधानी एक्‍सप्रेस 16 घंटे में इस दूरी को तय करती है. रेलवे इस यात्रा के समय को और कम करना चाहती है. इसीलिए ट्रायल रन के लिए इसके नौ सुपर लाइटवेट कोचों को मंगाया गया.
गौरतलब है कि मई से टैल्‍गो कोचों का ट्रायल रन चल रहा है और इस दौरान इसने कई टेस्‍टों को पास किया. इसका पहला ट्रायल रन यूपी में बरेली-मुरादाबाद रेल रूट पर किया गया. उसके बाद उत्‍तर-मध्‍य रेलवे के पलवल-मथुरा सेक्‍शन में ट्रायल रन किया गया.