महाराष्ट्र की तरह अब झारखंड में भी सरकार गिरने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। बता दें कि अपनी सरकार को बचाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने दो अहम फैसले लिए हैं। ये दो फैसले इस समय काफी अहम माने जा रहे हैं। इनमें एक फैसला स्थानीय नीति में 1932 का खतियान का प्रावधान करना है और दूसरा फैसला आरक्षण नीति में फेरबदल कर ओबीसी का कोटा बढ़ाना है। बुधवार को कैबिनेट बैठक हुई। इस बैठक में इन दोनों फैसलों पर विचार हुआ। मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को हुई बैठक में 43 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है।
सूत्रों के मुताबिक इस बात की जानकारी कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने दी है। मंत्रिमंडल सचिव वंदना डाडेल ने बताया है कि “मंत्रिमंडल ने ‘स्थानीयता’ की नीति 1932 के खतियान के आधार पर तय करने और पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने समेत विभिन्न वर्गों के लिए कुल 77 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करने के लिए अलग-अलग विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किये जाने की स्वीकृति प्रदार की। राज्य मंत्रिमंडल ने दोनों फैस्लों से संबधित दोनों विधेयकों को विधानसभा से पारित कराने और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद केन्द्र सरकार के पास भेजने का भी निर्णय लिया।”
उन्होंने आगे कहा कि “मंत्रिमंडल ने केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करने का निर्णय लिया गया कि वह इन दोनों कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे जिससे इन्हें देश की किसी अदालत में चुनौती न दी जा सके। स्थानीयता की नीति में संशोधन के लिए लाए जाने वाले नए विधेयक का नाम ‘झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा एवं परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022′ होगा।”