दिल्ली-NCR में लगातार हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। इसके चलते रविवार से ग्रैप के चौथे चरण पाबंदी को लागू किया गया है। हालांकि इसका भी असर अभी तक दिखाई नहीं दे रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPBC) की ताजा जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है।
दिल्ली के कई इलाकों का एक्यूआई 400 के पार बना हुआ है। इसके चलते ग्रैप-4 के तहत दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर बैन लगा दिया गया है। इस दौरान सिर्फ आवश्यक सामान वाले और सीएनजी वाहनों पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।
दिल्ली में सोमवार सुबह औसत एक्यूआई 417 और गुरुग्राम में 516 दर्ज किया गया है। वहीं, नोएडा के लोग पिछले पांच दिनों से जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। एक्यूआई रोजाना बढ़ता जा रहा है। सोमवार सुबह को नोएडा का एक्यूआई 402 दर्ज किया गया। वहीं ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई भी 400 रहा।
दिल्ली-एनसीआर में एक अक्टूबर से ग्रैप लागू है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से ग्रैप को चार चरणों में लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। बढ़ते प्रदूषण (Noida Air Pollution) के कारण जिले में चौथे चरण की पाबंदी लागू हुई है, लेकिन प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बावजूद जिले में किसी प्रकार की कोई पाबंदी दिखाई नहीं दे रही है। जिन विभागों को प्रदूषण कम करने की जिम्मेदारी दी गई है वह भी कुछ नहीं कर रहे। सड़क पर धूल, धुआं सब बरकार है। सड़कों की सफाई अभी भी मैनुअल की जा रही है। धुआं छोड़ते वाहनों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई को लेकर कोई अभियान नहीं चलाया गया।
प्रशासनिक अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। शहर में धड़ल्ले से कालोनियों व सेक्टरों में निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं। इनकी रोकथाम के लिए प्राधिकरण की तरफ से कार्रवाई नहीं की जा रही। सुबह स्मॉग की चादर तो रही। लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। हवा में दुर्गंध फैलने लगी। स्माग से आंखों में जलन और सांस के मरीजों को दिक्कतें हो रही हैं। डॉक्टर ने कहा है स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा।
धुएं में पाए जाने वाले केमिकल आंखों एवं त्वचा पर जलन उत्पन्न करते हैं श्वसन मार्ग में जाने पर खांसी, सांस फूलना, बलगम आदि उत्पन्न करते हैं। धुएं में केमिकल्स की बदबू होने के कारण असहनीय दुर्गंध आती है। स्माग के कारण हुई परेशानियों के लिए केवल एंटीएलर्जिक, सांस की दवाइयां लेना तर्क संगत नहीं है बल्कि हमें इससे बचाव के उपायों का प्रयोग करना चाहिए।