नई दिल्ली: एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए गठित समिति की पहली बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई. बैठक करीब एक घंटे तक चली. इसमें केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल शामिल हुए. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में हुई बैठक एक राष्ट्र एक चुनाव की संभावना तलाशने के लिए गहन चर्चा की गई.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस विचार को आगे बढ़ाने में आगे आने वाली समस्याओं पर विचार किया गया. इससे जुड़े एजेंडों को तय करने पर चर्चा की गई. इस मुहिम को कैसे आगे बढ़ाया जाए. इसे लेकर विचार रखे गए. इस व्यवस्था की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए रूप रेखा तैयार करने पर भी विचार किया गया.
एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार पिछले कुछ वर्षों में चर्चा में रहा है. मोदी सरकार के कई नेता इस विचार के पक्ष में राय दी है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि इससे देश को बड़ा लाभ होगा. खासकर समय और धन की भारी बचत होगी.
वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी का एजेडा बताया. विपक्षी दलों की ओर से इस विचार के खिलाफ तरत-तरह की बातें कही जा रही है. कहा जा रहा है इस व्यवस्था के लागू होने से छोटे दलों को नुकसान होगा. वहीं, कुछ दलों का कहना है कि लोकतांत्रिक देश में यह संभव नहीं है.
इस साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे भी महत्वपूर्ण अगले वर्ष लोकसभा चुनाव है. लोकसभा चुनाव प्रक्रया पूरी करने में देशपर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है. कई विपक्षी दलों की ओर से कहा गया कि 2019 के लोकसभा चुनावों में करीब 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए.