आखिरकार सूर्य के आगोश में समा गया धूमकेतु

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क्रूटज ग्रुप ऑफ कॉमेट का सदस्य सनग्रेजर नामक धूमकेतु सूर्य की आगोश में समा गया। वैज्ञानिक इसे दुर्लभ खगोलीय घटना मान रहे हैं।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि इस धूमकेतु पर वैज्ञानिक पिछले 21 साल से पैनी नजर रखे हुए थे।
यह धूमकेतु लगातार सूर्य की ओर आगे बढ़ते जा रहा था। इसकी पूंछ लंबी बनी हुई थी व यह काफी चमकदार धूमकेतु था। आखिरकार यह सूर्य में समा गया।
सोहो आब्जर्वेटरी ने इसके सूर्य के नजदीक पहुंचने का चित्र लिया है। भारतीय समयानुसार यह बुधवार शाम का समय रहा होगा। नासा की एसडीओ आब्र्जवेटरी से भी इसे सूर्य के नजदीक जाते हुए देखा था।
माना जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले कोई बड़े आकार का धूमकेतु टूटकर कई टुकड़ों में बंट गया था। इसकी खोज जर्मन वैज्ञानिक क्रूटज ने की थी। इसलिए इन्हें क्रूटज ग्रुप ऑफ कॉमेट का नाम दिया गया है। इसके टुकड़े सूर्य की दिशा में आगे बढ़ रहे थे।
टूटे हुए टुकड़ों में सनग्रेजर बड़े आकार का धूमकेतु था। इसी ग्रुप का एक टूकड़ा वर्ष 2011 में भी सूर्य से टकराया था। धूमकेतु सूर्य की दिशा में चक्कर लगाते हैं और सूर्य के नजदीक से होकर आगे बढ़ जाते हैं। इनके सूर्य से टकराने की घटना कभी कभार ही देखने को मिलती है।
वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि संभवत: पृथ्वी पर जल के भंडार धूमकेतु से ही आया होगा। पूर्व में कोई बड़े आकार का धूमकेतु पृथ्वी से टकरा गया होगा व उसके जल से विशाल समुद्र धरती पर बन गए होंगे। इसके बाद ही यहां प्राणियों का विकास हुआ होगा।
धूमकेतुओं में बर्फ के रूप में भारी मात्रा में पानी होता है। जब वह सूर्य की ओर आगे बढ़ते हैं तो उनके पिछले हिस्से से निकलने वाली धूल कणों की लंबी पूंछ बर्फ के कारण चमकदार नजर आती है। इसी कारण इन्हें पुच्छल तारा भी कहा जाता है।