कोरोनावायरस का संकट देशभर में फैल रहा है। ऐसे में इसकी लड़ाई भी अब देश में शुरू हो चुकी है। कोरोनावायरस के इस दौर में अब इसका टीकाकरण (Vaccination in India) शुरू हो चुका है। बता दें कि ये दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन है। इस वैक्सीनेशन के शुरू होने के बाद सरकार के फैसले के अनुसार सबसे पहले देश में स्वास्थ्य सेवाओं (Health Workers) से जुड़े लोगों को ही वैक्सीन दी जा रही है। इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सलाह दी थी कि कोरोना वैक्सीन गर्भवती महिला को न लगाएं। इससे उनको खतरा हो सकता है।
टीकाकरण के बीच अब एक और बात सामने आई है। जिसमें कहा गया है कि “वैक्सीन लगवाने के बाद 2 महीनों तक गर्भधारण (Pregnancy) न करें।” उन्होंने कहा कि “स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन दी जा सकती है। क्योंकि दूध पीते बच्चों को वैक्सीन की वजह से जोखिम की संभवनाएं कम हैं। भारत ने 16 जनवरी से वैक्सीन प्रोग्राम शुरू कर दिया है। अब तक 30 लाख से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है।”
इस बीच रेन्बो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल की डॉक्टर सुमन सिंह का कहना है कि “गर्भवती महिला को वैक्सीन देने का फैसला हेल्थकेयर प्रोफेशनल से गहन चर्चा के बाद और फायदे और नुकसान पर विचार करने के बाद लिया जाना चाहिए। इसलिए ESHRE, ART के होने वाले प्रभावों की निगरानी करने और वैक्सीन लगवानें वाले और बगैर टीका लगाए मरीजों से तुलना करने की सलाह देता है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “केंद्र ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं कोविड वैक्सीन के किसी भी ट्रायल का हिस्सा नहीं थीं।” उन्होंने बताया कि वैक्सीन में कुछ लाइव वायरस मौजूद होते हैं। जिसके कारण फीटस को नुक़सान पहुचनें की संभावना है। साथ ही इससे सुनने और देखने की शक्ति पर भी असर पड़ता है।