कांग्रेस संगठन की इस 'आग' में झुलस न जाएं CM रावत

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कांग्रेस संगठन अब एक ऐसे अभियान को छेड़ने की तैयारी में है, जिसकी जद में मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके मंत्री भी आ सकते हैं। राजनीति में सफाई का अभियान अब कांग्रेस के लिए नया मूल मंत्र है। संगठन ने एंटी करप्शन विभाग का गठन भी कर दिया है। बिना किसी हो हल्ले के इस नवगठित विभाग की कमान नैनीताल के पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल सिंह को सौंप दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष की इस शांत पहल के दूरगामी राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।
नैनीताल से दो बार सांसद रह चुके डा. महेंद्र पाल के भी मुख्यमंत्री हरीश रावत से रिश्ते बेहतर नहीं है। ऐसे में कांग्रेस का यह एंटी करप्शन विभाग गढ़े मुर्दे उखाड़ने का काम भी कर सकता है। ऐसा हुआ तो मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन से लेकर रावत सरकार के मंत्रियों के कारनामे भी संगठन के रडार पर होंगे। अभी तक प्रदेश का कांग्रेस संगठन इन मामलों पर चुप्पी साधता आया है।
इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस राजनीतिक शुचिता का अभियान भी छेड़ने जा रही है। संगठन के मुताबिक इस अभियान का मतलब है कि राजनीति में कोई दुराव-छुपाव सहन न करना। इस समय कांग्रेस पार्टी की मुख्यमंत्री हरीश रावत से सबसे बड़ी शिकायत ही यह है कि सरकार कोई भी फैसला करने से पहले संगठन को विश्वास में नहीं ले रही है।
मंत्रियों को लेकर शिकायत तो कांग्र्रेस के खुले मंच पर उठती ही रही है। अब शिकायत मुख्यमंत्री हरीश रावत को लेकर है। संगठन के नेताओं के मुताबिक मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पीडीएफ कोटे से मंत्री बनाए गए दिनेश धनै और यूकेडी के प्रीतम पंवार को और मंत्रालय बांट दिये और संगठन के नेताओं को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं नव प्रभात को पूर्व में औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया तो भी नव प्रभात को इसकी भनक नहीं थी।
कांग्रेस के नेता के मुताबिक पहले हरीश रावत छोटी से छोटी बात के लिए सबकी राय लेते थे। अब बड़े से बड़ा फैसला करने में किसी को पूछ ही नहीं रहे हैं। कांग्रेस संगठन की राजनीतिक शुचिता की मुहिम को इस शिकायत से जोड़ कर देखा जाए तो यह खुलकर सामने आ रहा है कि राजनीतिक शुचिता का अभियान जा कहां रहा है।