लंदन। टोनी ब्लेयर के प्रधानमंत्रित्व काल में ब्रिटेन के उप-प्रधानमंत्री (डिप्टी पीएम) रहे जॉन प्रेस्कॉट ने कहा कि ब्रिटेन का 2003 का इराक युद्ध गैर-कानूनी था। ब्रिटेन के इराक युद्ध में शामिल होने के दौरान देश के उप-प्रधानमंत्री रहे प्रेस्कॉट ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब पिछले बुधवार को जारी सर जॉन शिलकॉट रिपोर्ट ने इस युद्ध में ब्रिटेन की भूमिका के खिलाफ टिप्पणी की थी।
हालांकि, 2003 में ब्रिटेन ने जब इराक युद्ध में शामिल होने का फैसला किया था, उस वक्त लेबर पार्टी के कद्दावर नेता प्रेस्कॉट ने इस फैसले का समर्थन किया था। अब प्रेस्कॉट का कहना है कि उन्हें इस तकलीफदेह फैसले के साथ ताउम्र रहना होगा। प्रेस्कॉट ने ‘संडे मिरर’ में लिखा है, ‘एक भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब मैं युद्ध में जाने के हमारे फैसले के बारे में नहीं सोचता..देश के लिए अपनी जान देने वाले या जख्मी हुए ब्रिटिश सैनिकों के बारे में नहीं सोचता…सद्दाम हुसैन को हटाकर हमने जो मुश्किलों की पोटली खोली थी उसकी वजह से मारे गए 175,000 लोगों के बारे में नहीं सोचता।’
इस हफ्ते की शुरुआत में ब्लेयर ने अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी थी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह देश को युद्ध में झोंकने के अपने फैसले पर कायम हैं। करीब सात साल तक इराक युद्ध के मामले की जांच करने के बाद बीते बुधवार को शिलकॉट रिपोर्ट जारी की गई थी। प्रेस्कॉट ने कहा कि मार्च 2003 में इराक पर हमले से महीनों पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को ब्लेयर की ओर से भेजा गया यह संदेश ‘तबाह करने वाला’ था कि ‘मैं आपके साथ हूं, चाहे जो हो’। शिलकॉट रिपोर्ट में कहा गया कि 1997 से 2007 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे ब्लेयर ने शांति के विकल्पों का इस्तेमाल किए बगैर आखिरकार 45,000 ब्रिटिश सैनिकों को लड़ाई में भेज दिया था।