बिहार में आई बाढ़ ने बिहार की सियासत में बहुत कुछ बदल दिया है। कहा जा सकता है कि बाढ़ के बाद बिहार राज्य के हालात जितने ही ख़राब वहां के सियासी हालात हैं। देखा जाए तो बाढ़ के पानी ने बीजेपी और नीतीश सरकार के गठबंधन के अंदर की खटर-पटर को बाहर निकाल कर जनता के सामने ला दिया है। अब बिहार में भाजपा के दो गुट दिखने लगे हैं।
एक गुट नीतीश और गठबंधन के समर्थकों का जिसका नेतृत्व सुशील मोदी और नंदकिशोर यादव जैसे नेता करते हैं। तो दूसरी और एक और गुट है गिरिराज सिंह जैसे बीजेपी के नेताओं का जिनका मानना है कि बीजेपी को एक बार फिर से विधानसभा चुनावों में ज़ोर आज़माइश करनी चाहिए। बता दें कि गिरिराज सिंह और उनके समर्थक नेता जो बिहार में आई बाढ़ की आड़ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार निशाना साधने में लगे थे। अब मौन धारण किये हुए दिखाई दे रहे हैं।
भाजपा के सूत्रों की मानें तो इसका भी कारण है। ख़बर है कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फिलहाल उन्हें ऐसी बयानबाज़ी से दूर रहने की सख़्त ताक़ीद की है, जिसकी वजह से गठबंधन पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना हो। बता दें कि गिरिराज समर्थकों का कहना है कि गिरिराज सिंह ने फिलहाल तो अपनी वाणी को विराम लगा दिया है लेकिन नीतीश कुमार के मुखर आलोचक के रूप में उन्होंने अपनी जगह बना ली है। वहीं दूसरी ओर गिरिराज सिंह के विरोधियों का मानना है कि अपने निजी प्रचार के चलते गिरिराज ने एनडीए के घटक दलों के कार्यकर्ताओं में एक दूसरे के प्रति संशय की स्थिति उत्पन्न कर दी है।