भारतीय मजदूर संघ ने बजट 2020-21 को निरा’शाजनक बताया है। मजदूर संघ का यह असंतोष और अधिक महत्वपूर्ण इस लिए है, क्योंकि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक सहयोगी सं’गठन है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बजट के खि’लाफ आरएसएस के सहयोगी सं’गठन के इस तरह से खुलकर सामने आने को विप’क्षी दल मुददा बना सकती हैं।
शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया इस साल का बजट। केंद्र सरकार की ओर से एलआईसी और आईडीबीआई में हिस्सेदारी बेचने के फ़ैसले से ना’राज़ हुए आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ।
मजदूर संघ ने सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि “राष्ट्र की सम्पत्तियों को बेचकर पैसे जुटाने का तरीका ख’राब अर्थशास्त्र का उदाहर’ण है। संघ से जुड़े इस संगठन ने सरकार के आर्थिक सलाहकारों और नौकरशाहों पर निशा’ना साधते हुए उनके ज्ञान और विजन में कमी बताई है।”
भारतीय मजदूर संघ ने सरकार को सुझाव दिया कि “बेहतर हो कि सरकार बगै’र राष्ट्र की संपत्तियों को बेचे राजस्व जुटाने का कोई मॉडल बनाए।”
भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि “भारतीय जीवन बीमा निगम देश के मध्यम वर्ग की बचत को सुरक्षित रखने वाला उपक्रम है, जबकि आईडीबीआई ऐसा बैंक है जो छोटे उद्योगों को वित्तपोषित करता है। ऐसे में दोनों उप’क्रमों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”