भाजपा के दाँव से बिहार में बदले समीकरण, UP से जुड़े हैं इस पूरे मामले के तार…

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बिहार में राजनीतिक सरगर्मियाँ लगातार तेज़ हो रही हैं. बिहार NDA में पिछले कुछ महीनों से मतभेद चल रहे हैं, मतभेद असल में NDA की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और गठबंधन की एक छोटी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी के बीच है। विकासशील इंसान पार्टी को VIP पार्टी के नाम से जाना जाता है, इस पार्टी के नेता हैं मुकेश सहनी और सहनी को कहा जाता है ‘सन ऑफ़ मल्लाह’।

इस पूरे विवाद के शुरू होने से पहले विकासशील इंसान पार्टी के तीन विधायक थे जबकि पार्टी के एक विधायक की मौत हो जाने की वजह से बोचहाँ विधानसभा सीट ख़ाली हो गई थी, वहीं दूसरी ओर भाजपा के 74 विधायक थे। NDA गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है लेकिन गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जदयू के नेता नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। इस गठबंधन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा भी शामिल है। जदयू के 45 और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के 4 विधायक हैं।

विवाद क्या है इसको समझने से पहले हम विकासशील इंसान पार्टी का इतिहास जान लेटे हैं। बॉलीवुड में सेट-डिज़ाइनर का काम कर चुके मुकेश सहनी ने 2010 में सामाजिक और राजनीतिक चर्चा का हिस्सा बनना शुरू किया। उन्होंने सहनी समाज कल्याण संस्था बनाई। सहनी ने अपने समाज में जल्दी ही पकड़ बना ली थी और 2014 के लोकसभा चुनाव में सहनी भाजपा के ख़ेमे में नज़र आ रहे थे। सहनी की एहमीयत तो तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा दोनों ने समझा। 2015 में मुकेश सहनी ने निषाद विकास संघ की स्थापना की।

इसके बाद सहनी अपने समाज के लोगों को एकजुट करते रहे और 2018 में उन्होंने अपनी पार्टी बना ली जिसका नाम है ‘विकासशील इंसान पार्टी’। 2019 लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने राजद-कांग्रेस के महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा। गठबंधन ने पार्टी को तीन सीटें दीं लेकिन तीनों सीटों पर विकासशील इंसान पार्टी की हार हुई। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले VIP पार्टी ने राजद और कांग्रेस से लम्बी बातचीत की लेकिन राजद से नाराज़ होकर सहनी ने ‘महागठबंधन’ छोड़ दिया और NDA गठबंधन के साथ जाने का फ़ैसला किया।

NDA और महागठबंधन के बीच हुए काँटे के चुनाव में NDA की सीटें 125 थीं जबकि महागठबंधन की 110. 223 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए होती हैं। NDA में जदयू और भाजपा की 117 सीटें ही थीं, ऐसे में इसके छोटे सहयोगी दल जैसे हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की 4 और विकासशील इंसान पार्टी की 4 सीटें अहम् हो गई थीं। NDA की ओर से इस बात का ध्यान रखा गया कि ये छोटे सहयोगी कहीं राजद-कांग्रेस के महागठबंधन के साथ न चले जाएँ। महागठबंधन के पास 110 सीटें थीं और उसने मुकेश सहनी को अपने पाले में लाने की कोशिश भी की, ऐसा होने पर राजद के साथ हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के आने की भी संभावना थी और ओवैसी की पार्टी AIMIM की 5 सीटें तब बड़ा रोल अदा कर सकती थीं। हालाँकि सहनी ने NDA के साथ बने रहने का फ़ैसला किया।

क्या है ताज़ा विवाद-

विवाद असल में बिहार से नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ। उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुक़ाबला माना जा रहा था। ऐसे में जब विकासशील इंसान पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 57 सीटों पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया तो भाजपा को ये बात पसंद नहीं आयी। भाजपा नेताओं ने इसे VIP पार्टी की धोकेबाज़ी कही, इस पर VIP नेताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनाव तो जदयू भी लड़ रही, उसे भाजपा कुछ क्यूँ नहीं कह रही। VIP नेताओं का कहना था कि उनकी पार्टी छोटी है तो उसे दबाया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में चुनाव ख़त्म हो गए और बात फिर बिहार आ गई. 2020 में जब बिहार विधानसभा चुनाव हुए तो बोचहाँ विधानसभा सीट से VIP पार्टी के नेता मुसाफ़िर पासवान चुनाव जीते थे, पिछले साल नवम्बर में मुसाफ़िर पासवान की मौत हो जाने से बोचहाँ विधानसभा सीट रिक्त हो गई। इस सीट पर अब उपचुनाव हो रहा है, उपचुनाव की जब चर्चा और प्रत्याशियों के नाम की बात चली तो विकासशील इंसान पार्टी ने अपनी दावेदारी पेश की। भाजपा ने लेकिन इस सीट से अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया। इस पर VIP ने नाराज़गी जताई और कहा कि बोचहाँ सीट हमने जीती थी तो उपचुनाव में भी हमारा ही प्रत्याशी NDA की तरफ़ से आना चाहिए, भाजपा ने इस बात पर उत्तर प्रदेश के घटनाक्रम की याद दिलाई। इस पूरे मामले में NDA की एक और बड़ी पार्टी जदयू ने VIP का पक्ष लिया और कहा कि चूंकि पिछली बार सीट वो जीते तो उन्हीं को मिलना चाहिए।

बोचहाँ का चुनाव NDA की दो पार्टियों ने प्रतिष्ठा की लड़ाई बनाया हुआ था वहीं राजद ने VIP छोड़कर आए मुसाफ़िर पासवान के बेटे अमर पासवान को टिकट दे दिया। राजद के मज़बूत दाँव के बीच VIP और भाजपा आपसी लड़ाई में ही उलझे हुए थे। VIP ने पूर्व विधायक रमई राम की बेटी गीता कुमारी को टिकट दिया तो भाजपा ने बेबी कुमारी को मैदान में उतार दिया।

बोचहाँ में एक तरफ़ चुनाव प्रचार तेज़ था वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार भाजपा सांसदों से चाय पर चर्चा की। इस चर्चा के कुछ ही घंटों बाद ख़बर आयी कि विकासशील इंसान पार्टी के सभी तीनों विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही विकासशील इंसान पार्टी की अब विधानसभा में सीटों की संख्या ज़ीरो हो गई जबकि बिहार विधान परिषद में पार्टी का बस एक ही सदस्य है और वो ख़ुद मुकेश सहनी हैं। सहनी का भी कार्यकाल अब कुछ ही दिन का बचा है। तो अगर बोचहाँ सीट विकासशील इंसान पार्टी नहीं जीतती है तो वो दोनों सदनों में शून्य पर पहुँच जाएगी।

बिहार भाजपा के नेता इस पूरे घटनाक्रम से ख़ासे ख़ुश हैं। विकासशील इंसान पार्टी के तीनों विधायकों के भाजपा में आने से बिहार में भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़कर 77 हो गई है, इसके साथ ही भाजपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। आपको बता दें कि अब तक बिहार की सबसे बड़ी पार्टी लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल थी जिसके 75 विधायक हैं। आज की स्थिति ये है कि 243 सीटों वाली विधानसभा में NDA के 127 विधायक हैं जिनमें भाजपा के 77, जदयू के 45, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के 4 और एक निर्दलीय विधायक हैं। मुख्य विपक्षी गठबंधन जिसे आम भाषा में ‘महागठबंधन’ कहा जाता है, उसके कुल 91 विधायक हैं..इनमें से राजद के 75, सीपीआई-माले के 12, सीपीआई के 2 और सीपीएम के 2 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस ने राजद से मतभेदों के बाद ख़ुद को महागठबंधन से अलग कर रखा है, कांग्रेस के 19 विधायक हैं। बिहार में AIMIM के पाँच विधायक हैं।

बोचहाँ विधानसभा सीट का उप-चुनाव यूँ तो सरकार बनाने या गिराने जैसा कोई असर नहीं रखता लेकिन इस उपचुनाव के नतीजे बिहार की राजनीति का भविष्य ज़रूर बदल सकते हैं।