राजस्थान : अशोक गहलोत का दांव अब उन्हीं पर उलटा पड़ता दिख रहा है। हाईकमान की ओर विधायक दल की बैठक के लिए दूत बनाकर भेजे गए अजय माकन ने मीडिया के सामने खुलकर कहा है कि जो कुछ हुआ वह अनुशासनहीनता है। ऐसे में संकेत यह भी मिल रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का रुख सख्त हो सकता है और गहलोत को लेनी की देनी पड़ सकती है। अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी भी अपने पास रखने की उनकी कोशिश ने उनके दोनों ही पदों को खतरे में डाल दिया है।
दिल्ली जाकर सोनिया गांधी को रिपोर्ट देने की बात कहते हुए माकन ने कहा, ”वे अड़े रहे कि प्रस्ताव में तीनों शर्तों को शामिल किया जाए। हमने कहा कि यह कांग्रेस की परंपरा नहीं रही है। इसमें हित का टकराव भी नहीं होना चाहिए। हमने उन्हें इसके लिए मना किया। सबकी बात सुनकर ही कांग्रेस अध्यक्ष फैसला करेंगी। हम इंतजार करते रहे वे लोग नहीं आए। अब हम अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी जी को सौंपेंगे। क्या यह अनुशासनहीनता है? इसके जवाब में माकन ने कहा, ”पहली नजर में तो यह अनुशासनहीनता ही है, जब एक आधिकारिक बैठक बुलाई गई थी और उसी के समानांतर दूसरी बैठक बुलाई जाए तो यह अनुशासनहीनता तो है, आगे देखते हैं इस पर क्या कार्रवाई होती है।”
गहलोत पर होगा ऐक्शन?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अब तक गांधी परिवार के बेहद भरोसेमंद कहे जाते रहे गहलोत के ताजा रुख से कांग्रेस हाईकमान भी हैरान और परेशान है। जिस तरह गहलोत के समर्थकों ने पार्टी नेतृत्व के फैसले का विरोध किया और मुख्यमंत्री चुपचाप सब देखते रहे उसके बाद सोनिया और राहुल गांधी के भी नाराज होने की बात कही जा रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी उनपर कोई ऐक्शन लेती है या नहीं।