2024 चुनाव से पहले फिर निकला EVM का जिन्न!

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बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने इस साल के आम चुनाव में EVM का इस्तेमाल नहीं करने पर सहमति जता दी है. केवल भारत ही नहीं बांग्लादेश में भी EVM राजनीतिक विवाद की वजह रहा है. अब भारत के पड़ोसी देश में EVM हटाने और बैलेट पेपर के जरिए लोकसभा चुनाव कराने के फैसले के बाद भारत में भी राजनीति तेज हो गई है. ‘सामना’ के संपादकीय में इसे लेकर ठाकरे गुट ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया है और कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

आरोप लगाते हुए लिखा गया है कि भारत में लोकतंत्र की हत्या रोज हो रही है और लोकतंत्र बचाने के लिए विपक्ष रोज सड़कों पर उतर रहा है, लेकिन लोकतंत्र के नाम पर जारी तानाशाही की गाड़ी तेजी से दौड़ रही है. अवैध मार्ग से चुनाव जीतकर तानाशाह सत्ता में आते हैं और हमेशा के लिए कुर्सी से चिपककर बैठ जाते हैं. दुनियाभर में और हिंदुस्तान में यही चल रहा है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ‘EVM’ हैक करके BJP लोकसभा चुनाव जीतती है. बीजेपी की लोकप्रियता और विजय का रहस्य उस ‘ईवीएम’ में है. इसलिए इस पद्धति को बंद करके फिर से बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं.

आगे लिखा है कि पिछले सात सालों से हमारे देश का विपक्ष EVM बंद कराने की मांग कर रहा है. सभी को ‘ईवीएम’ पर संदेह है, क्योंकि इसपर लोगों का विश्वास नहीं रहा है. जिस चुनाव प्रणाली पर लोगों का विश्वास नहीं वहां का लोकतंत्र खतरे में है, ऐसा माना जाता है, लेकिन भारत के चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति ने ‘ईवीएम’ बंदी की मांग को हर बार ठुकरा दिया. विश्व भर में ‘ईवीएम’ बंद हो गई है, लेकिन भारत और बांग्लादेश जैसे देश में यह चलती रही. अब बांग्लादेश में भी ‘ईवीएम’ पर पाबंदी लगा दी गई है और आगामी आम चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे, ऐसी घोषणा बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने की है.

बांग्लादेश में आम चुनाव जनवरी 2024 में होने वाले हैं और मतदान बैलेट पेपर पर कराए जाएंगे. भारत में लोकतंत्र को कुचला जा रहा है फिर भी हमारे द्वारा ही निर्माण की गई सीमा से सटा एक राष्ट्र विपक्ष की मांग पर ‘ईवीएम’ बंद करता है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए बैलेट पेपर से चुनाव कराने जा रहा है. यह उस देश के शासकों की ईमानदारी और निडरता को दर्शाता है. लोगों के मन से शंकाएं दूर होनी चाहिए. निर्भय और पारदर्शी तरीके से चुनाव संपन्न हो, इसके लिए ईवीएम की बजाय मतपत्रों का इस्तेमाल कर चुनाव कराने का फैसला बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने लिया है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके चुनाव आयोग की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है.

भारत में लोकतंत्र के नाम पर अंधेरा बढ़ रहा है, लेकिन सीमापार उम्मीद की किरणें जगी हैं. उन्हीं किरणों से हमारे देश को प्रेरणा मिलेगी. हमारे देश में ‘ईवीएम’ बंद करने की बात कहने वालों को देशद्रोही या मोदी विरोधी ठहराया जाता है. ‘ईवीएम’ में गड़बड़ी है और घोटाला हो सकता है. बांग्लादेश ने जो हिम्मत दिखाई वह बीजेपी दिखाए. तब वे असली मर्द हैं. ईवीएम के खिलाफ शरद पवार के नेतृत्व में सभी विपक्षी दल एकजुट हुए. उन्हें बांग्लादेश से प्रेरणा लेनी चाहिए. बीजेपी को जीत दिलाने वाली राक्षसी मशीन को अब हमेशा के लिए बंद हो जाने दो! बांग्लादेश का अभिनंदन!