रिटायरमेंट के बाद बनेंगे MBBS, पूरा किया सपना, युवाओं के लिए प्रेरणा

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उम्र को लेकर दो तरह की बातें कही जाती हैं। उनमें पहली यह कि दुनिया में जहां उम्र अक्सर रोजगार खासकर नौकरी के लिए निर्धारित है। लेकिन, दूसरी बात यह है कि पढ़ने-लिखने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। एक रिटायर बैंकर दोनों बातों को अलग-अलग तरह से साबित कर दिखाया है। जहां, पहले उन्होंने नौकरी के लिए तय मानकों के अनुसार बैंक में नौकरी की और फिर रिटायरमेंट के बाद वह कर दिखाया, जिसका सपना युवा 10वीं पास करने के बाद ही देखने लगते हैं।

उनकी कहानी यह साबित करती है कि आप वास्तव में जो चाहते हैं, उसे आगे बढ़ाने में कभी देर नहीं होती है। कई लोग मानते हैं कि करियर शुरू करने के बाद शिक्षा में लौटना लगभग असंभव है, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक से रिटायर किशोर प्रधान ने सारी बातों को गलत साबित करते हुए 64 साल की उम्र में एमबीबीएस के लिए एनटीए की नीट यूजी परीक्षा को पास कर दिखया है।

प्रेरक व्यक्ति इन धारणाओं को धत्ता बताने के लिए उभर रहे हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी जय किशोर प्रधान, जिन्होंने 2020 में 64 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) को सफलतापूर्वक पास किया।

ओडिशा के रहने वाले जय किशोर प्रधान एसबीआई से डिप्टी मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। रिटायर होने के बाद भी प्रधान ने चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही आकांक्षा को जीवित रखा।दृढ़ संकल्प और उद्देश्य की एक नई भावना के साथ, उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपनी शैक्षणिक महत्वाकांक्षा को जीवित रखा और अपने सपनों को हासिल करने की यात्रा शुरू की।

प्रधान ने एनईईटी की तैयारी के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाया, ऑनलाइन कोचिंग में दाखिला लिया और पढ़ाई जारी रखी। प्रधान ने अपनी कड़ी मेहनत और चुनौतियों का सामना करते हुए तैयारी करते हुए सफलता हासिल की।
पारिवारिक जीवन के दबाव सहित प्रतियोगी परीक्षा के लिए अत्यधिक अध्ययन जैसी बाधाओं के बावजूद, प्रधान दृढ़ रहे। मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करने के अपने लक्ष्य पर उनके अटूट ध्यान ने उन्हें प्रेरित किया। प्रधान की यात्रा इस धारणा का उदाहरण है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और जीवन के चरण की परवाह किए बिना सपने को हासिल किया जा सकता है।

2020 में, उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई जब उन्होंने एनआईआईटी परीक्षा सफलतापूर्वक पास की। इस उपलब्धि ने उन्हें वीर सुरेंद्र साए इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (वीआईएमएसएआर) में एक प्रतिष्ठित सीट दिलाई, जो उनकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

जय किशोर प्रधान ने स्कूलिंग के बाद सन 1974 में भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी थी। लेकिन तब वे असफल रहे थे।इसके बाद उन्होंने फिजिक्स से बीएएसी किया। फिर स्कूल टीचर की नौकरी की। इसके बाद इंडियन बैंक और फिर एसबीआई में नौकरी की।प्रधान ने कहा है कि डाक्टर बनने के बाद वह गरीबों के लिए काम करेंगे।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 की धारा 14 में निर्धारित है कि नीट (यूजी) लेने वाले उम्मीदवारों के लिए कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं है। यह नीति सभी उम्र के इच्छुक मेडिकल छात्रों को अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है, इस विचार को मजबूत करती है कि शिक्षा और कैरियर की आकांक्षाएं जीवन के किसी भी स्तर पर पनप सकती हैं।