500-1000 नोट बैन: कालेधन-आतंकवाद पर नकेल, आपको होंगे ये फायदे

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मोदी सरकार ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मंगलवार आधी रात से 500 और 1000 के नोटों को अवैध घोषित कर दिया है। इस फैसले की अचानक घोषण से आम आदमी को थोड़ी मुश्किलों का सामना ज़रूर करना पड़ेगा लेकिन इससे देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और आपकी जेब को क्या फायदा होने वाला है ये जानकर आपको ये परेशानियां कम ज़रूर लगने लगेंगी।
आपको बता दें कि नकली नोटों के धंधे में शामिल लोग ज्यादातर बड़े नोटों का ही इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उन्हें इस्तेमाल में लान बेहद आसान होता है। कालाधन पैदा करने वाले और इस्तेमाल में लाने वाले ज्यादातर अपराधी बड़े नोटों का ही इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उन्हें लाना और ले जाना काफी आसान होता है। 500 और 1000 के नोटों पर रोक लगाने से ऐसे सभी अपराधों पर लगाम लगाई जा सकेगी। गौरतलब है कि फिलहाल पूरे देश में चल रही करंसी में 500 और 1000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 86 पर्सेंट है, जबकि 2007 में यह आंकड़ा 69 पर्सेंट था।
ज्यादातर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भी नकली नोट, हवाला का पैसा और काला धन का ही इस्तेमाल किया जाता है। बड़े करंसी नोटों पर लगाम कसने के चलते आतंकवादी नेटवर्क को ध्वस्त करने की संभावना अधिक होगी। बड़े नोटों को बंद करने से आतंकियों का आर्थिक नेटवर्क एक झटके में ख़त्म किया जा सकता है। आमतौर पर कैश ट्रांजेक्शन को हर जगह स्वीकार किया जाता है। इन नोटों को बड़ी संख्या में कहीं भी ले जाना आसान होता है और पकड़े जाने का खतरा बेहद कम रहता है। अपराधियों के लिए छोटे नोटों को रखने के मुकाबले इन्हें लेकर चलना आसान रहता है।
विश्व बैंक ने जुलाई, 2010 में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2007 में भ्रष्टाचार की अर्थव्यवस्था देश की इकॉनमी के 23.2 पर्सेंट के बराबर थी, जबकि 1999 में यह आंकड़ा 20.7 पर्सेंट के बराबर थी। इसके अलावा भारत समेत कई एजेंसियों ने भी इसी तरह के अनुमान जताए थे। हार्वर्ड की स्टडी के मुताबिक बड़े करंसी नोटों को बंद करने से टैक्स से बचने वालों, वित्तीय अपराधियों, आतंकियों के आर्थिक नेटवर्क और भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सकेगी। 500 रुपए के 1650 करोड़ नोट चलन में हैं। इसका मूल्य है 7।8 लाख करोड़ रुपए। यानी कुल करेंसी का 47.85% है। 1000 रुपए के 670 करोड़ नोट चलन में हैं। मूल्य 6.3 लाख करोड़ रुपए। यानी कुल करेंसी का 38.54% है।
हालांकि ये फैसला अप्रत्याशित रूप से अचानक ले लिया गया है लेकिन उसके बावजूद जानकारों की माने तो ये फैसला गरीब, मिडिल क्लास और नौकरी पेशा लोगों के लिए बेहद फायदेमंद रहने वाला है। इसके जो दो सबसे बड़े फायदे बताए जा रहे हैं वो हैं रियल एस्टेट की कीमतों में गिरावट आएगी और जो लोग उच्च शिक्षा लेने से वंचित रह जाते हैं उन्हें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
हार्वर्ड की एक स्टडी के मुताबिक भारत समेत विकासशील देशों में सबसे ज्यादा काला धन काका इस्तेमाल रियल एस्टेट के कारोबार में ही किया जाता है। फिलहाल भ्रष्टाचार में लिप्त लोग अपनी अघोषित आय को रीयल एस्टेट सेक्टर में निवेश करके खुद को साफ-सुथरा साबित करने की कोशिश करते हैं। इस फैसले से ऐसे लोग नकद भुगतान नहीं कर सकेंगे। ऐसे में प्रॉपर्टी की कीमतें कम होंगी और गरीबों के लिए मकान का सपना आसान हो सकेगा।
इस फैसले के चलते एक तरफ सरकार के रेवेन्यू में इजाफा होगा। वहीं, ब्लैक मनी को वाइट इकॉनमी के दायरे में लाने में भी मदद मिलेगी। यही नहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी इसे अहम माना जा रहा है। इसके अलावा हायर एजुकेशन ऐसा सेक्टर है, जहां भ्रष्टाचार में लिप्त लोग अपनी पूंजी लगाते हैं। कैपिटेशन फीस के चलते उच्च शिक्षा आम लोगों की पहुंच से दूर हो चुकी है। इस फैसले से उच्च शिक्षा के मामले में भी समानता की स्थिति आ सकेगी क्योंकि अवैध कैश लेनदेन संभव नहीं होगा। यही नहीं इससे महंगाई पर भी लगाम लग सकेगी।
चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर जैसे 25 से ज्यादा बड़े देशों में बड़े नोटों पर पूरी तरह से बैन है। चीन में 100 युआन, अमेरिका में 100 डॉलर और ब्रिटेन में 50 पाउंड से बड़ा नोट चलन में नहीं रहता। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने बड़े नोटों को भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी वजह बताया था।