विश्व भर में कोरोनावायरस के केसेस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी करोना वायरस की चपेट में आ चुका है और वहां पर भी लगातार संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं अमेरिका के एक बर्खास्त वैज्ञानिक का दावा है कि, उन्होंने अमेरिकी प्रशासन को और और स्वास्थ्य विभाग को पहले ही आगाह किया था कि देश में इस तरह की समस्याएं आने वाली है परंतु उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया था।
बता दें कि,स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के साथ काम करने वाली अनुसंधान एजेंसी बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलेपमेंट एजेंसी के प्रमुख के पद से बर्खास्त वैज्ञानिक रिक ब्राइट ने अपनी शिकायत में अमेरिकी प्रशासन पर आरोप में कहा कि,स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने खासतौर से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन जैसी दवाइयां और निजी सुरक्षा उपकरण के संबंध में उनके तथा अन्य लोगों के संदेशों को बार-बार नजरअंदाज किया।
इस बारे ने उनकी शिकायत है कि, “डॉ. ब्राइट पाकिस्तान और भारत से दवा के आयात को लेकर अत्यधिक चिंतित थे क्योंकि एफडीए ने दवा या उसे बनाने वाली फैक्ट्री का निरीक्षण नहीं किया।” जाहिर है कि उनका यह मानना था कि दूसरे देशों से दवाइयों को आयात करना तब तक सुरक्षित नही है जब तक उन कारखानों की पूरी तरीके से जांच पड़ताल ना की जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिना जांच के दवाइयां आयात करना खतरे से कम नहीं है हो सकता है इसमें कुछ मिलावट ही की गई हो।
ज्ञात हो कि,अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कोविड-19 के उपचार के लिए संभावित दवा के रूप में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की पहचान की है।जिसके बाद ही ट्रंप ने भारत से अमेरिका के लिए मलेरिया-रोधी दवा के निर्यात को अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसके बाद भारत ने इस दवा के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। भारत विश्व में इस दवा का प्रमुख निर्माता है, जो पूरी दुनिया में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति का 70 प्रतिशत उत्पादन करता है।