उत्तराखंड: बागेश्वर उपचुनाव को कांग्रेस ने बताया, सहानुभूति की जीत और मुद्दों की हार

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देहरादून: बागेश्वर उपचुनाव में भाजपा भले ही जीत गई हो, लेकिन 2022 में हुए चुनावों में जीत का अंतर कहीं पीछे छूट गया। भाजपा को कांग्रेस ने यहां कड़ी टक्कर दी। कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार ने मुकाबले को कांटेदार बनाए रखा। अब चुनाव में हार पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का बयान आया है। उन्होंने बागेश्वर उपचुनाव के परिणाम को सहानुभुति की जीत और मुद्दों की हार बताया।

माहरा का आरोप है कि बागेश्वर उपचुनाव को जीतने के लिए बीजेपी ने शुरू से ही सत्ता का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया था। इस मामले की शिकायत कांग्रेस ने चुनाव आयोग से भी की थी, जिस पर जांच जारी है। करण माहरा ने कहा कि कांग्रेस ने अंकिता भंडारी हत्याकांड, यूकेएसएससी पेपर लीक और केदारनाथ में सोने की परत का मामला, अग्निपथ योजना और बेरोजगारों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था। बावजूद उसके सहानुभूति की जीत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता आने वाले चुनाव में भी एकजुट होकर मेहनत करते रहेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी का करीब 20 प्रतिशत वोट बढ़ा है और जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सहानुभूति की वजह से बीजेपी बागेश्वर उप चुनाव को अपने पक्ष में रखने में कामयाब रही है, लेकिन भाजपा अपने पुराने वोट पर ही सिमट का रह गई है, जबकि कांग्रेस पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 10 हजार वोट अधिक लाई है।

इस चुनाव में बड़ी बात यह भी रही कि नोटा पर 1200 से अधिक वोट पड़े हैं, जो कि अपने आप में सोचने वाली बात है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने इस मसले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ये सिस्टम के खिलाफ वोट है। अगर यह वोट कांग्रेस को पड़े होते तो निश्चित रूप से बहुत बड़ा फर्क पड़ता। नोटा की संख्या देखकर कहा जा सकता है कि युवा सरकार से खिन्न चल रहा है।