कर्नाटक में लगे हिजाब बैन को लेकर लगातार सुनवाई हो रही है। पहले इस मामले को हाई कोर्ट में उठाया गया था। लेकिन हाई कोर्ट का फैसला मुस्लिम छात्राओं के पक्ष में नहीं आया। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की लगातार सुनवाई हो रही है। करीब 10 दिनों से इस मामले की सुनवाई हो रही है और आखिरकार आज फैसला सुना ही दिया गया। बताया जा रहा है कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस हेमंत गुप्ता कर रहे थे।
लेकिन जब फैसला सुनाने की बारी आई तो दोनों का फैसला अलग रहा। जहां जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हाई कोर्ट के आदेश को पलटने का फैसला सुनाया तो वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रहना चाहिए। खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कुल 23 याचिकाओं पर सुनवाई की थी। जस्टिस धुलिया ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “यह उनकी पसंद की बात है। बिजॉय इमानुएल में एससी द्वारा निर्धारित अनुपात इस मुद्दे को कवर करता है। मुख्य बात थी बालिकाओं की शिक्षा.. बालिकाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और भी मुश्किलें हैं.. लेकिन क्या ऐसे प्रतिबंध लगाकर हम उनके जीवन को बेहतर बना रहे हैं?”
गोरतलब हैं कि अब इस मामले को CJI को भेजा का चुका है। बड़ी बेंच का गठन कर इस मामले पर फैसला सुनाया जाएगा। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब बैन को चुनौती देने वाली 6 मुस्लिम छात्राओं समेत कुल 23 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं। याचिकाओं के अनुसार छात्राओं का कहना है कि “हिजाब पहनने से किसी के मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता है। तर्क ये भी दिया गया है कि अगर स्कूलों में पगड़ी, कड़ा और बिंदी पर बैन नहीं तो हिजाब पर क्यों? हिजाब धार्मिक आजादी के अधिकार के दायरे में है।”