कोरोना महामारी में शुरू हुआ मोबाइल OPD, इस तरह लोग उठा सकते हैं…

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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मरीज़ों की संख्या रोज़ बढ़ती जा रही है। देशभर में कोरोना के मामले बढ़ कर 28 लाख से ज़्यादा हो चुके हैं। वहीं 53 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है। वही राहत की बात ये है कि 20 लाख से ज़्यादा रिकवर भी हो चुके हैं। इसके चलते सरकारी अस्पतालों (Government Hospital) में अभी तक ओपीडी (OPD) चालू नही हुई है और कोरोना को के इस दौर में मार्च से इंतजार करते करते अगस्त भी आधा निकल गया लेकिन अभी तक OPD नही चालू हुईं। कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण अस्पतालों की ओपीडी पर ताले लटके हुए हैं। ऐसे में मरीज़ों की समस्या दूर करने के लिए डॉक्टरों और सरकार द्वारा इसका हल निकाल लिया गया है। मरीजों की सुविधा के लिए मोबाइल पर ओपीडी शुरू कर दी गई है। डॉक्टर मरीज़ों के एक्सरे और लैब रिपोर्ट व्हाट्सएप पर देख रहे हैं। दिल्ली में जामिया यूनिवर्सिटी के बाद अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज द्वारा भी मोबाइल पर ओपीडी शुरू कर दी गई है।

इस कोरोना महामारी के चलते मरीज़ों की सुविधा के लिए सभी मेडिकल कॉलेज जैसे रायपुर, जयपुर, झांसी मेडिकल कॉलेज, एएमयू मेडिकल कॉलेज, कानपुर का हैलट समेत जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी का डेंटल कॉलेज भी मोबाइल पर आ चुका है। आगरा में मौजूद एसएन अस्पताल भी मोबाइल पर ओपीडी शुरू करने की तैयारियों में लगा हुआ है। इसके साथ ही एम्स, सैफई मेडिकल कॉलेज और लखनऊ में भी मेडिकल कॉलेज के कुछ विभागों ने मोबाइल पर ओपीडी की सुविधाएं देना शुरू कर दी हैं।
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इसके चलते सभी तरह की बीमारियों जैसे न्यूरोसर्जरी, सर्जरी, सायकियाट्री, ऑर्थोपेडिक, डर्मेटोलॉजी, डायबिटीज़, आब्सटेट्रिक्स एंड गायनकोलॉजी, ऑप्‍थोमोलॉजी, कार्डियोवस्कुलर एंड थोरासिक सर्जरी, रेडियोथेरेपी, मेडीसिन, पेडियाट्रिक सर्जरी, ईएनटी, टीबी एंड चेस्ट, प्लास्टिक सर्जरी और पेन क्लीनिक में मरीज़ किसी भी कार्य दिवस में सुबह से दोपहर तक बीमारियों के बारे में डॉक्टरों से सलाह ले सकते हैं।

गंभीर मरीज़ों के लिए ज़िला अस्पताल हों या मेडिकल कॉलेज की इमरजैंसी दोनों ही खुले रहेंगे। इसी के चलते डॉग बाईट वाले मरीज़ों को भी अस्पताल आने की सुविधा दी जा रही है। ऐसे मरीजों का इलाज किया जा रहा है. उन्हें डॉग बाइट के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। डॉग बाइट के मरीज को एक बार इंजेक्शन लगाने के बाद दोबारा भी अस्पताल आने की सुविधा दी जा रही है।