पूरे महाराष्ट्र में सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। थोक कारोबारी किसान से ग्राहक के बीच अपनी भूमिका खत्म करने के सरकारी फैसले का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में मंडी में सब्जियों की भारी किल्लत हो रही है।
मंगलवार को कृषि राज्य मंत्री सदाभाऊ खोत मंत्रालय छोड़ सीधे दादर मंडी पहुंचे। वे अपने साथ 300 ट्रकों में किसानों का काफिला लेकर ग्राहकों को सीधा सब्ज़ी बेचने पहुंचे। काराबोरियों की हड़ताल के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘आज मुझे बहुत खुशी है कि किसान सीधे ग्राहक के दरवाजे पर जाकर सामान बेच रहा है, ये ऐतिहासिक फैसला है। हम कारोबारियों की भी बात सुनेंगे, उन्हें जो दिक्कत है उसे दूर करेंगे, लेकिन अगर ग्राहकों या किसानों को तकलीफ पहुंचाने की कोशिश की गई तो फिर हम कड़ी कार्रवाई से नहीं हिचकेंगे।’
सरकार की पहल से किसान खुश हैं, उन्हें उत्पाद के दाम करीब 10 फीसद ज्यादा मिल रहे हैं। जुन्नर से दादर मंडी पहुंचे किसान श्रीराम गाडवे ने कहा, ‘सरकार की पहल से हम ग्राहक को दस फीसदी सस्ता सामान बेच सकते हैं। पहले हमें चेक नाकों पर बहुत तकलीफ होती थी, हमारा बहुत नुकसान होता था, लेकिन इस फैसले के बाद हमें नाकों पर कोई परेशानी नहीं हो रही है।
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने फल-सब्जियों को बाजार समितियों के चंगुल से आज़ाद कर दिया, जिसका मतलब यह है कि किसान और ग्राहक के बीच से बिचौलिया गायब हो गया। अब मंडी में किसान सीधे माल बेच सकता है, राज्य के 4000 कारोबारी इस फैसले के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
कारोबारियों की हड़ताल के कारण रोज़ मंडी में आने वाले 600 ट्रकों की तादाद बमुश्किल 100 रह गई है। नतीजा एशिया की सबसे बड़ी वाशी थोकमंडी में ताला लगा है। एपीएमसी के संचालक अशोक वालुंज ने कहा, ‘शासन के गलत फैसले की वजह से सामुदायिक छुट्टी पर गए हैं, बाहर के लोगों के लिए कानून नहीं, हमारे ऊपर कानून है। सरकार का कहना है कि ‘किसान टू ग्राहक फ्री ट्रेड’ किया है, किसान कहीं से भी माल लाकर कहीं बेच सकता है, लेकिन हम लोगों को बंधन रहेगा हम लोगों ने करोड़ों का निवेश किया है उसका क्या, 4 पीढ़ी से कर रहे हैं, हमारा क्या?’
वहीं एपीएमसी में फलों के कारोबारी मनोहर तोतलानी ने कहा, ‘सरकार का रवैया दादागिरी वाला है, जो एपीएमसी के बाहर धंधा करेगा, वो नियम मुक्त हम नियम में? हमारी मांग है कि हमें भी नियम मुक्त कर दो, आम आदमी को तकलीफ हो रही है। किसानों को यहां सभी सुविधाएं हैं, नीलाम गृह बना है। माल नहीं आने से महंगा हुआ है।’
इस हड़ताल की वजह से मुंबई के बाज़ारों में पत्ता गोभी 50 से 90 रुपये तक जा पहुंची है। फूल गोभी 70 से 120 रुपये हो गई, टमाटर 15 रुपये से सीधे 80 तक जा पहुंचा है। बैंगन भी 50 रुपये से 90 रुपये तक जा पहुंचा है। बीन्स 135 रुपये किलो था, जो अब 200 रुपये में बिक रहा है। आलू 20 रुपये की बजाय अब 30 में बिकने लगा है।
इससे लोगों का बजट बिगड़ रहा है, मंडी में खरीदारी करने आई कोमल ने कहा सब्जी का तिगुना दाम है, कुछ भी नहीं ले सकते आलू 40 रुपये, कांदा 30 रुपये है। वहीं भावेश का कहना था, ‘बहुत थोड़ा लिया है, मैं कोपरखैरणे से सानपाडा आया हूं, यहां भी सब्ज़ी अच्छी नहीं है, टमाटर 80 रुपये है, क्वॉलिटी भी अच्छी नहीं है।’
महाराष्ट्र में 1977 में बाजार समितियां बनी थीं, जिससे करीब एक लाख लोग सीधे वहीं 3-4 लाख परोक्ष रूप से रोज़ी कमाते हैं। व्यापारी कहते हैं कि थोक बाजार में 30 फीसदी उपज सीधे आती है, 70 प्रतिशत खरीदकर मंगाई जाती है ऐसे में किसान या ग्राहकों को लूटने के आरोप बेबुनियाद हैं।
एपीएमसी में हर साल लगभग 15000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है, जिस पर ज्यादातर एनसीपी को समर्थन देने वाले कारोबारियों का नियंत्रण है। वैसे यह भी सही है कि फल-सब्जी को डीलिस्टिंग करने का फैसला यूपीए सरकार के वक्त ही हुआ था, जिसे बीजेपी अपने शासन वाले राज्यों में ग्राहक और किसानों को फायदा पहुंचाने के नाम लागू कर रही है। ऐसे में एक बात याद रखने वाली है कि सब्जी का सियासी भाव सरकारें उखाड़ फेंकने की ताकत रखती हैं।