देहरादून: चारधाम यात्रा की तैयारियों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वास्थ्य सेवाओं को टर्बो मोड में लाने का मास्टरस्ट्रोक खेला है! चिकित्सा स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग ने 45 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति का फरमान जारी कर दिया है। ये डॉक्टर अब प्रदेश के जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अपनी सेवाएं देंगे, ताकि यात्रियों और स्थानीय लोगों को टॉप-क्लास इलाज मिले।
स्वास्थ्य विभाग के आदेश के मुताबिक, इन 45 डॉक्टरों में सर्जरी, स्त्री व प्रसूति रोग, एनेस्थीसिया, बाल रोग, नेत्र रोग, ENT, फॉरेंसिक मेडिसिन और जनरल मेडिसिन जैसे क्षेत्रों के एक्सपर्ट शामिल हैं। ये सभी डॉक्टर विभाग की ओर से पोस्ट-ग्रेजुएशन (PG) पूरा करके अब स्पेशलिस्ट बन चुके हैं। इन्हें पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर और हरिद्वार जैसे जिलों में तैनात किया गया है, जहां चारधाम यात्रा का असर सबसे ज्यादा रहता है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि चारधाम यात्रा में लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं को चाक-चौबंद रखना सरकार का टॉप एजेंडा है। पहले पहाड़ी जिलों के अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को बड़े शहरों की दौड़ लगानी पड़ती थी। लेकिन अब सर्जरी, बाल रोग, स्त्री रोग और नेत्र रोग जैसी सेवाएं स्थानीय स्तर पर मिलेंगी। इससे न सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं दुरुस्त होंगी, बल्कि रेगुलर इलाज भी तेज और बेहतर होगा।
डॉ. कुमार ने खुलासा किया कि हाई-एल्टीट्यूड मेडिसिन, कार्डियक इमरजेंसी और ट्रॉमा केयर के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। ऊंचाई वाले इलाकों में स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए संवेदनश profile image शील जिलों में तुरंत मदद के लिए डॉक्टर तैनात किए गए हैं। साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि अगर कोई डॉक्टर तय समय पर ड्यूटी जॉइन नहीं करता, तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन होगा।
इन 45 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती से उत्तराखंड के स्वास्थ्य ढांचे को नई ताकत मिलेगी। खासकर उन जिलों में, जहां यात्रा का सीधा असर पड़ता है। अब न मरीजों को दूर जाना पड़ेगा, न इमरजेंसी में इंतजार करना होगा। तो, इस बार चारधाम यात्रा न सिर्फ आध्यात्मिक होगी, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी!