Home ख़ास ख़बरें 34 साल बाद NEP में हुआ बद’लाव, पीएम मोदी ने किया देश...

34 साल बाद NEP में हुआ बद’लाव, पीएम मोदी ने किया देश को संबोधित

0

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के कॉन्क्लेव को लेकर बुधवार को भारत के प्रधान मंत्री ने एक बयान दिया है। जिसमें उन्होंने NEP 2020 के कॉन्क्लेव को संबोधित किया है। बता दें कि हाल ही में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) में कुछ नए बड़े ब’दलाव किए गए हैं। जिसके चलते पीएम मोदी ने इसको संबोधित किया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि “आज का यह कॉन्क्लेव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिहाज से काफी अहम है। इससे NEP को लेकर जानकारी स्पष्ट होगी और इसका कार्यान्वयन होगा। तीन-चार सालों के व्यापक मंथन के बाद इसे फाइनल किया गया है। देशभर में इसकी चर्चा हो रही है, अलग-अलग विचारधाराओं के लोग अपने विचार दे रहे हैं। इसपर स्वस्थ चर्चा हो रही है। इसका लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा।”

जारी की गई नई नीति पर देश भर से उठने वाले सवालों पर पीएम मोदी ने कहा कि यह किसी के साथ भेद’भाव या झु’काव नहीं है। जैसे के लोग काफी समय से बद’लाव चाहते थे ये वैसा ही बद’लाव है। नई नीति पर उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि “यह सवाल आना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा सुधार कागज पर तो कर दिया गया लेकिन इसे ह’कीकत में कैसे उतारा जाएगा। इसके लिए हमें जहां-जहां सुधार की जरूरत है, वहां मिलकर सु’धार करना है और करना ही है। आप सब सीधे इससे जुड़े हैं, इसलिए आपकी भूमिका अहम है।” पीएम ने कहा कि “जहां तक इसपर पॉलि’टिकल बिल की बात है, तो मैं पूरी तरह आपके साथ हूं। हर देश अपनी शिक्षा नीति में अपने लक्ष्य, अपने विचार और संस्कार के मिश्रण के साथ बनाता है। हमारी एनईपी इसी आधार पर बनाई गई है। इसका मक’सद नए एजुकेशन सिस्टम के जरिए देश की वर्तमान और आगे की पीढ़ियों को सशक्त बनाना है।”

अपनी बातों को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि “यही हमारी सोच है। यह नीति नए भारत की नींव तैयार करेगी।हमारे युवाओं को जैसी शिक्षा की जरूरत है, उसमें इसपर फोकस किया गया है। भारत के नागरिकों को सशक्त करने, ज्यादा से ज्यादा अवसरों के लिए उन्हें उपयुक्त बनाने पर पॉलिसी में जोर दिया गया है। जब भारत का छात्र, चाहे वो नर्सरी में हो या कॉलेज में, साइंटिफिक तरीके से पढ़ेगा, बदलती जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा तो देश के विकास में भूमिका निभाएगा।” NEP में हुए बद’लावों पर उन्होंने कहा कि “देश की शिक्षा नीति में बहुत वक्त से कोई बद’लाव नहीं हुआ था, जिसका परिणाम यह हुआ कि युवाओं में जिज्ञासा और कल्पनाशीलता ख’त्म हो गई और डॉक्टर, इंजीनियर बनने की भेड़चाल होने लगी। ऐसे में देश को इंट्रस्ट, एबिलिटी और डिमांड की मैपिंग के बिना हो़ड़ लगाने की प्रवृत्ति से बाहर निकालना था। इस पर विचार करना था कि हमारे समाज में क्रिटिकल और इनोविटव थिंकिंग कैसे विकसित हो। फिलॉ’सफी ऑफ एजुकेशन और परपज़ ऑफ एजुकेशन कैसे विकसित किया जाए।”

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “एनईपी को तैयार करने में टु’कड़ों में सोचने के बजाय ्एक होलिस्टिक अप्रोच यानी संपूर्ण दृष्टिकोण की जरूरत थी, इसमें एनईपी सफल रही है। अब जब एनईपी मूर्त रूप ले चुकी है तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे सामने क्या सवाल खड़े थे। पहला सवाल यह था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था, हमारे युवाओं को क्यूरियॉसिटी और कमिटमेंट ड्रिवेन लाइफ के लिए प्रेरित करती है? दूसरा सवाल यह था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे युवाओं को सशक्त करती है? आप इसके जवाब से परिचित है। लेकिन मुझे संतोष है कि नई नीति में इन विचारों पर गं’भीरता से विचार किया गया है।”

उन्होंने मा’तृभाषा में पढ़ाई की नीति का ज़िक्र करते हुए कहा कि “शुरुआती पढ़ाई और बोलने की भाषा एक ही होने से बच्चों की नींव मजबूत होगी, वहीं आगे की पढ़ाई के लिए आधार भी मज’बूत होगा। अभी तक की शिक्षा व्यवस्था में ‘What to Think’ अब ‘How to Think’ पर फोकस है। आज इस दौर में इन्फॉर्मेशन और कंटेंट की बाढ़ है, हर प्रकार की जानकारी मोबाइल फोन पर अवेलेबल है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि क्या पढ़ना है, क्या जानकारी हासिल करना है। नई नीति में इसका ध्यान रखा गया है।” पीएम ने आगे कहा कि “एनईपी पर लगातार डि’स्कशन करिए, वेबिनार करिए, रणनीति बनाइए, मैपिंग करिए, रिसोर्स तय करिए। यह एक सर्कुलर नहीं है। यह नीति सर्कुलर जारी करके, नॉटिफाई करके लागू नहीं होगी, सबको काम करना होगा, दृढ़शक्ति दिखानी होगी। यह नीति 21वीं सदी में बड़ा बद’लाव लाने का एक बड़ा अवसर है और जो लोग भी इस कॉन्क्लेव को देख रहे हैं, सुन रहे हैं, उन्हें इससे जुड़ने के लिए निमंत्रण देता हूं। प्रत्येक का योग’दान आवश्यक है। मेरा विश्वास है कि साथ मिलकर काम करने से नीति को प्र’भावी रूप से लागू करने के अवसर बनेंगे।”

Exit mobile version