मुंबई, 25 मार्च, 2019: बॉम्बे मेडिकल एड फाउंडेशन (BMAF) की ओर से गरीबों और जरुरतमंदों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की दिशा में बेहतर पहल करने वालों को सम्मानित किया जाता रहा है। इसी क्रम में फाउंडेशन का 23 वां ‘कर्मयोगी पुरस्कार’ मुंबई के ग्रैंड हयात में आयोजत एक भव्य समारोह में डॉ. प्रकाश आमटे और डॉ. मंदाकिनी आमटे को डॉ. फारुख उदवाडिया और बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सत्यरंजन धर्माधिकारी ने प्रदान किया। यह दोनों वर्ष 1973 से महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले के हेमलकसा क्षेत्र के आदिवासी लोगों के उत्थान की दिशा में कर रहे हैं। इन दोनों को सामाजिक कल्याण की यह विरासत अपने समाजसेवी माता-पिता मुरलीधर देवीदास बाबा आमटे और साधनाताई आमटे से मिली है। इसके बाद से ही ये दोनों क्षेत्र के जरुरतमंद और हाशिए पर पहुंच चुके आदिवासियों की सहायतार्थ काम कर रहे हैं।
समारोह में सबसे पहले डॉ देवेंद्र सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत किया और संस्था के कार्यो के बारे में जानकारी दी और डॉ आनंद गोकानी ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का परिचय दिया।
कर्मयोगी पुरस्कार से सम्मानित डॉ प्रकाश आमटे ने कहा कि पुरस्कार मिलने की खुशी जैसे आम तौर से सभी को होती है, वैसे ही मुझे भी हो रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 45 वर्षों से वो और उनकी धर्मपत्नी डॉ मंदाकिनी लगातार आदिवासियों की सेवा कर रहे हैं। मेरे दोस्तों ने कहा कि आप लोग जंगल में लोगों की इस तरह से सेवा कर रहे हैं, ये बात समाज को मालूम होनी चाहिए। इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। और फिर हमारे दोस्तों ने समाज को हमारे काम के बारे में लोगों को परिचित कराया।
डॉ प्रकाश आमटे ने कहा कि लोग कहते रहते हैं कि हमारी नई नस्ल बरबाद हो रही है। जबकि ऐसा हरगिज़ नहीं है। हमारे काम करने की जानकारी लेने के लिए हमें सबसे ज्यादा निमंत्रण कालेजों से ही आते हैं। हमारा युवा वर्ग इस तरह की सेवा के बारे में जानना चाहता है।
उन्होंने समाज में फैली विषमताओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक तरफ खाना फेंका जा रहा है और दूसरी तरफ आदिवासियों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है।
प्रकाश आमटे ने कहा कि वो सरकार से कोई उम्मीद नहीं लगाते। वो सिर्फ इतना चाहते हैं कि सरकार में बैठे सभी लोग अपना फर्ज ईमानदारी से निबाहें और जो भी योजनाएं हैं उन्हें ठीक से लागू करें।
कर्मयोगी पुरस्कार मिलने के बाद डॉ मंदाकिनी आमटे ने कहा कि पुरस्कार मिलने से ऐसा लगता है कि अगर आप अच्छा काम करें तो समाज में मान्यता मिलती है। ऐसे में अगर पिछड़े समाज के लिए कार्य किया जाए तो इससे देश भी तरक्की करेगा। आदिवासियों की मदद करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना एक अच्छा कार्य है।
डॉ मंदाकिनी ने कहा कि उन्होंने ये काम कभी ये सोचकर नहीं किया था कि उनके इस कार्य से उन्हें प्रशंसा मिले। लेकिन हमारे दोस्तों ने कहा कि आपके काम को अगर समाज को बताया जाएगा तो इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के युवा समाज सेवा के क्षेत्र में बहुत कुछ करना चाहते हैं, हमें ये देखकर खुशी होती है।
आदिवासियों के बारे बताते हुए उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में शहर के लोगों को आदिवासियों से सबक लेना चाहिए, जैसे; उनके यहां स्त्री-पुरुष में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं है, दहेज प्रथा नहीं है,भीख नहीं मांगते और चोरी भी नहीं करते और बलात्कार जैसी घटनाएं तो उन्हें 45 सालों में देखने को नहीं मिलीं।
इस अवसर पर फाउंडेशन के अध्यक्ष अरुण सराफ ने कहा, “इस वर्ष कर्मयोगी पुरस्कार से इन दोनों चिकित्सकों प्रकाश और मंदाकिनी आमटे को सम्मानित करने में काफी खुशी महसूस कर रहे हैं। वे जरूरतमंद और असहाय लोगों का नि:शुल्क उपचार और दवाइयां उपलब्ध कराकर उनकी मदद करते हैं।”
कार्यक्रम का संचालन डॉ ट्विंकल संघवी ने किया। इस अवसर पर फाउंडेशन की कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य नंदकिशोर नौटियाल, उमा भसीन, कुमुद झावर, विमला मोहता, सत्या लाठ, शकुन डरिरा और समाज के विभिन्न क्षेत्रो से गणमान्य लोग उपस्थित थे।