पुरुषों से बराबरी नहीं करनी है, नारी को उससे आगे बढ़ना चाहिए- विश्वनाथ सचदेव

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                          ‘ज्योतिर्मयी नारी शक्ति के विविध आयाम’ का लोकार्पण

वरिष्ठ पत्रकार एवं नवनीत के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि नारी को उसकी जो गरिमा हैं उसे बनाए रखना चाहिए। आज भी नारी को लेकर जो स्थितियां हैं उसे बदलने की जरुरत है। पुरुषों से बराबरी नहीं करनी है, नारी को उससे आगे बढ़ना चाहिए। वे ‘ज्योतिर्मयी नारी शक्ति के विविध आयाम’ का लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे।

नारी सशक्तिकरण के लिए वैचारिक अभियान के अंतर्गत ‘नूतन सवेरा’ के सामयिक विशेषांक ‘ज्योतिर्मयी नारी शक्ति के विविध आयाम’ का लोकार्पण डॉ नीरजा माधव के हाथों मुंबई प्रेस क्लब में संपन्न हुआ। लोकार्पण के बाद डॉ नीरजा माधव ने कहा कि प्राकृतिक भेद को जीवित रखते हुए नारी को तय करना पड़ेगा कि उसे किस रुप में कर्तव्य को अंजाम देना है। भारतीय रिश्तों में सामजंस्य की बनावट को विवेक से संभालने की चुनौती स्त्री के समक्ष हैं। पुरुषों को कटघरे में खड़े करने के बजाय नारी को विवेक और सद्भभाव से आगे बढ़ना चाहिए।

नवभारत टाईम्स के संपादक सुंदरचंद ठाकुर ने कहा कि आज भी महिलाओं की ओर देखने का दृष्टिकोण सकारात्मक नहीं हैं। महिलाओं को मौका दिया जाएगा तो निश्चित तौर पर वे पुरुषों के मुकाबले बेहतर परिणाम दे सकती हैं। उन्होंने अपनी मां की कहानी बताकर कहा कि हर एक जीवन में मां होती हैं जो सफलता की सीढ़ियों चढ़ने का पहला पड़ाव बनती हैं।
महिलाओं की सुरक्षा पर कार्य करनेवाली किरण उपाध्याय ने कहा कि महिला सर्तक रहती तो उनके अधिकांश समस्या खत्म हो सकती हैं। राजस्थानी महिला मंडल की पूर्व अध्यक्षा उर्मिला रुंगटा ने कहा कि बहुत ही खूबसूरत ढंग से किताब लिखी हैं। शिक्षा और आर्थिक स्वालंबन से महिला को शक्तिशाली बनाया जा सकता हैं।

‘नूतन सवेरा’ के प्रधान संपादक नंदकिशोर नौटियाल ने कहा कि नारी को अपने ही पैरों पर खड़ा होना चाहिए। इस मौके पर लेखिका राजुल की ‘वातायन’ किताब का विमोचन भी किया गया।

अतिथियों का स्वागत आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, बिनीता नौटियाल, प्रमोद सिंह, राजुल हमराही ने किया। सूत्रसंचालन कवि-गीतकार देवमणि पांडेय ने किया। आभार राजीव नौटियाल ने माना। कार्यक्रम के संयोजक थे वरिष्ठ पत्रकार सुरेशचंद्र शर्मा।

इस अवसर पर सर्वश्री रामनारायण सोमानी, डॉ योगेश्वर शर्मा, किशन शर्मा, चंद्रकांत जोशी, गिरेंद्र मित्तल, अनिल त्रिवेदी, मदनमोहन गोस्वामी, हरबंस सिंह बिष्ट, भंवरसिंह राजपुरोहित, मोहन सिंह बिष्ट, ओम व्यास, डॉ सुशीला गुप्ता, वसुधा सहस्त्रबुद्धे, अनंत श्रीमाली, शालिनी वाजपेयी, अशोक हमराही, सुनीता खंडूरी, अदिति खंडूरी, हरप्रीत सिंह बंगा, जगदीश पुरोहित, शार्दुल नौटियाल आदि मुंबई शहर के विभिन्न क्षेत्र से जुड़े गणमान्य लोग उपस्थित थे।