देहरादून: उत्तराखंड में डेमोग्राफिक चेंज और बाहरी व्यक्तियों द्वारा जमीन खरीद के मामलों को लेकर सरकार पहले ही सख्त रुख दिखा चुकी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी कई मंचों पर राज्य की संवेदनशील भूगोल और जनसंख्या संरचना को लेकर चिंता व्यक्त करते रहे हैं। इसी बीच देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र कालसी में जमीन खरीद का एक पुराना मामला फिर सुर्खियों में आ गया है।
मामला क्या है?
जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के निवासी गुलाम हैदर ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों की आचार संहिता के दौरान कालसी क्षेत्र में करीब 10 बीघा जमीन खरीदी। जबकि उत्तराखंड जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 के मुताबिक राज्य के बाहर का व्यक्ति प्रदेश में सामान्यतः केवल 250 वर्ग मीटर भूमि ही खरीद सकता है।
जनजातीय घोषित इस क्षेत्र में बाहरी व्यक्ति को जमीन खरीदने की अनुमति तभी दी जा सकती है जब वह यहां रहने वाले किसी पारिवारिक रिश्तेदार का प्रमाण प्रस्तुत करे और जिला प्रशासन से अनुमति ले।
जमीन का मूल्य और संवेदनशीलता
कालसी क्षेत्र में एक बीघा जमीन की मौजूदा सरकारी कीमत लगभग 32 लाख रुपये से अधिक आंकी जाती है। क्षेत्र की जनजातीय प्रकृति और संवेदनशीलता को देखते हुए इस सौदे पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
मामला सामने कैसे आया?
कुछ महीने पहले कालसी निवासी संजय खान ने देहरादून प्रशासन को कई शिकायतें दीं। उनका आरोप है कि गुलाम हैदर उनकी संपत्ति को अपना बताते हुए उस पर दावा कर रहे हैं।
संजय खान ने यह भी आरोप लगाया कि गुलाम हैदर ने पाकिस्तान में रहने वाले अब्दुल्लाह नाम के व्यक्ति का वीडियो भेजकर दावा किया कि जमीन उनके दादा की थी और वक्फ बोर्ड को दान की गई थी। यह वीडियो पाकिस्तान से उनके मोबाइल पर भेजा गया, जिसके बाद संजय ने इसे साजिश बताया। मामला आगे बढ़कर नैनीताल हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
सबसे बड़ा सवाल, इजाजत किसने दी?
चूंकि जनजातीय क्षेत्र में बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता, ऐसे में आरोप लग रहे हैं कि स्थानीय रिश्तेदारी का हवाला देकर नाम रजिस्टर में जुड़वाया गया।
सबसे अहम प्रश्न यह है कि
- क्या जमीन खरीदने से पहले डीएम/एसडीएम से अनिवार्य अनुमति ली गई?
- यदि ली गई तो किस आधार पर इतनी बड़ी जमीन के लिए अनुमति जारी हुई?
विपक्ष ने उठाए सवाल
स्वाभिमान मंच के नेता बॉबी पंवार ने इस मामले को गंभीर बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है:
“बिना सरकारी मिलीभगत के यह संभव नहीं। जांच होनी चाहिए कि जम्मू-कश्मीर का व्यक्ति यहां इतनी बड़ी जमीन क्यों खरीद रहा था? उसकी मंशा क्या है?”
जांच की मांग तेज
मामला पुराना होने के बावजूद अब राजनीतिक रूप से गर्माता दिख रहा है। सरकार पर सवाल उठ रहे हैं और प्रशासनिक स्तर पर जांच की मांग तेज हो गई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अब सरकार और जिला प्रशासन इस विवादित सौदे पर क्या कदम उठाते हैं।














