देहरादून: वैसे तो किसी भी विभाग में अधिकारियों के ट्रांसफर सामान्य प्रक्रिया होती है। लेकिन, कुछ मामलों में तबादलों को लेकर सवाल भी समय-समय पर खड़े होते रहे हैं। ऐसे ही एक ट्रांसफर राजधानी देहरादून में हॉट टॉपिक बना हुआ है और इस पर खूब चर्चा भी हो रही है। दरअसल, विजिलेंस कोर्ट के जज का ट्रांसफर को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
ये वही जज हैं, जिन्होंने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के आय से अधिक संपत्ति मामले में सरकार से 8 अक्टूबर तक मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। यह सरकार को तय करना था कि गणेश जोशी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए या नहीं, लेकिन उससे पहले है जज का ट्रांसफर हो गया।
कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया है। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी कहा कि जज के तबादले से कुछ नहीं बदला है। यह तबादला संयोग भी हो सकता है और प्रयोग भी, परंतु उससे कोई व्यापक असर नहीं पड़ता। गणेश जोशी पर लगे आरोप अब भी अपनी जगह पर यथावत हैं और सवाल भी कायम हैं। बस अब प्रदेश की जनता को इंतजार है तो धामी कैबिनेट की अनुमति का जिसकी अवधि मात्र 8 अक्टूबर तक है।
गरिमा ने कहा कि 8 अक्टूबर से पहले पहले धामी कैबिनेट को गणेश जोशी प्रकरण पर फैसला लेना है और विजिलेंस विभाग को गणेश जोशी से पूछताछ और आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच की अनुमति दी जानी है। दसौनी ने कहा कि विपक्ष को और प्रदेश की जनता को पूरा भरोसा है कि विपक्षी दल के नेताओं पर छोटी छोटी बातों पर ईडी और सीबीआई की जांच बैठाने वाली भाजपा सरकार अपने मंत्री पर उठे सवालों में पक्षपात नहीं करेगी और विजिलेंस विभाग को जांच की पूरी अनुमति देगी।
गरिमा ने यह भी कहा की यह धामी सरकार के पास एक सुनहरा मौका है जनता का खोया हुआ विश्वास वापस जीतने का। उसके लिए यह जरूरी है कि वह गणेश जोशी पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच कराएं और 8 अक्टूबर से पहले पहले विजिलेंस विभाग को गणेश जोशी से पूछताछ और पूरे प्रकरण की जांच करने का मौका दें। दसौनी ने कहा की पूरे प्रदेश में यह संदेश जा रहा की धामी सरकार दोहरे मापदंड अपनाती है और अपने दल के आरोपियों को बचाने का भरसक प्रयास कर रही है।