PM के समान नागरिक संहिता पर दिए बयान के बाद से देश में ये मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष जहां इसके विरोध में लामबंद है तो BJP इसे जल्द देश में लागू करने की बात कह रही है। इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का UCC पर बयान सामने आया है।
मेघवाल ने कहा कि इस विषय पर सभी को 13 जुलाई तक का इंतजार करने की जरूरत है। दरअसल, मेघवाल मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, इसी बीच एक पत्रकार ने उनसे जब यूसीसी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पर सब साफ हो जाएगा।
कई मीडिया रिपोर्ट में ये सामने आया है कि केंद्र सरकार इस मानसून सत्र में UCC पर बिल संसद में ला सकती है। इसको लेकर विपक्ष भी हमलावर है। गौरतलब है कि भारत के कानून आयोग ने यूसीसी के ड्राफ्ट को सार्वजनिक डोमेन में डाला हुआ है और इसपर 13 जुलाई तक लोगों से राय मांगी है।
22वें विधि आयोग ने फिर से इस दिशा में काम शुरू किया है और आम जनता से राय मंगाई है। इसके साथ ही कांग्रेस पिछले यानी 21वें विधि आयोग के परामर्श पत्र को आधार बनाकर यह तर्क रख रही है कि उसने समान नागरिक संहिता को गैर जरूरी बताया था। पर सच्चाई यह है कि 21वें आयोग ने भी समान कानून की बात की थी और परिवार विधियों के जरिए इसका रास्ता बताया था।
21वें विधि आयोग ने लोगों की राय मंगाई विचार विमर्श किया और उसके बाद समान नागरिक संहिता पर कोई रिपोर्ट देने के बजाए विभिन्न परिवार कानूनों जिसमें सेक्युलर लॉ के अलावा विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ में संशोधन करके कानूनी अधिकारों में बराबरी लाने की बात कही थी।
उस परामर्श पत्र में शादी, तलाक, भरण पोषण, उत्तराधिकार, गोद लेना आदि से संबंधित कानूनों में बदलाव के जो सुझाव दिये गए हैं वे वास्तव में समान नागरिक संहिता की ओर ही ले जाते हैं, क्योंकि समान नागरिक संहिता में भी इन्ही विषयों में समान कानून लागू करने की बात हो रही है। जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले 21वें विधि आयोग ने जस्टिस चौहान का कार्यकाल समाप्त होने के आखिरी दिन 31 अगस्त, 2018 को परिवार कानूनों में संशोधन के सुझाव वाले परामर्श पत्र जारी किये थे।
समान नागरिक संहिता में जो विषय आते हैं उनमें शादी, तलाक, भरण पोषण, उत्तराधिकार, गोदलेना, विरासत आदि विषय ही आते हैं और यही विषय परिवार कानूनों के भी हैं। परिवार कानून के ये विषय राज्य सूची में भी आते हैं इसलिए कुछ राज्य आजकल समान नागरिक संहिता तैयार करने में लगे हैं। अब अगर 21वें विधि आयोग के परामर्श पत्र को देखा जाए तो उसमें भी इन्हीं विषयों से जुड़े कानूनों और पर्सनल ला में संशोधन और संहिताबद्ध करने की बात की गई है।